अब ओलंपिक में नहीं दिखेगा सुशील, योगेश्वर, गीता और बबीता का जलवा?

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भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआइ) ने दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार, ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त, कॉमनवेल्थ गेम्स की पदक विजेता गीता व बबीता फोगाट का पत्ता टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) से काट दिया है। इससे यह भी साबित होता है कि अब संघ को इन चारों से कोई भी पदक जीतने की संभावना नजर नहीं आती है।

डब्ल्यूएफआइ के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने 2020 टोक्यो ओलंपिक को देखते हुए टॉप्स के लिए खेल मंत्रालय को भेजी जाने वाली प्रारंभिक लिस्ट बना ली है। इसमें पुरुष फ्रीस्टाइल से संदीप तोमर, उत्कर्ष काले, अमित दहिया, श्रवण, बजरंग, अमित धनकड़ और सत्यव्रत कादियान के नाम हैं, जबकि महिलाओं में रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक, वीनेश फोगाट, रितु फोगाट, दिव्या काकरान और ज्योति के नाम शामिल हैं। गुरुवार को सोनीपत में विश्वचैंपियनशिप के लिए ट्रायल हैं और डब्ल्यूएफआइ को लगता है कि ये पहलवान ही अपने-अपने वर्ग में क्वालीफाई करेंगे।

अगर इनमें से कोई और क्वालीफाई करता है तो उसका नाम भी टॉप्स में डाल दिया जाएगा और इनमें से जो क्वालीफाई नहीं करता है उसके नाम पर भी विचार किया जाएगा। सुशील, योगेश्वर, गीता और बबीता जैसे स्टार पहलवानों का नाम काटने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि सुशील अब राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बन गए हैं और ऐसे में डब्ल्यूएफआइ ये मानकर चल रहा है कि वह संन्यास लेंगे। वह कई सालों से भारत की तरफ से नहीं खेले हैं। वह इस ट्रायल में भी नहीं आ रहे हैं।

वहीं, योगेश्वर ने शादी के बाद से राष्ट्रीय कैंप से दूरी बना ली है। गीता व बबीता कई बार कहने के बावजूद लखनऊ में राष्ट्रीय कैंप में भाग नहीं ले रही हैं। शायद वह अपने पिता के दिशा-निर्देश में अभ्यास कर रही हैं। हमने टोक्यो ओलंपिक को देखते हुए टॉप्स के लिए नए और युवा चेहरों को जगह देने के बारे में सोचा है। जब उनसे पूछा गया कि केंद्रीय खेल मंत्रालय ने सुशील को कुश्ती का राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बनाया है तो क्या आपने उनसे इस लिस्ट के बारे में सलाह ली? तो उन्होंने ना में जवाब दिया।

सुशील को सोनीपत में होने वाले ट्रायल में भी पर्यवेक्षक के तौर पर नहीं बुलाया गया है। इस पर अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने उन्हें पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। इसके लिए डब्ल्यूएफआइ की तरफ से आमंत्रण देने की जरूरत नहीं है। अगर उन्हें आना है तो वह स्वयं आ सकते हैं। मालूम हो कि डब्ल्यूएफआइ यह मानता है कि बिना संन्यास लिए सुशील को पर्यवेक्षक बनाना हितों का टकराव है। सुशील एक निजी कुश्ती अकादमी भी चलाते हैं।

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