अहसास मोहब्बत का होने लगा है,
पलको पर मेरी आ के कोई सोने लगा है |
मैं जागता हूं रातों में करवट बदल-बदल के,
दिल की जमी पर कोई कसक बोने लगा है |
ख्वाहिश थी जिसकी चांद पर जाने की क्या कहें ,
वह शख्स बंद कमरे में अब रोने लगा है |
जो सबको बताता था मंजिल का पता ,
वह इब्तदा ही से रास्ते पर खोने लगा है |