बजट 2018: पेट्रोलियम मंत्रालय ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती की मांग की

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केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने आगामी बजट 2018-19 में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती की मांग की है. पेट्रोलियम मंत्रालय में सूत्रों ने न्यूज एजेंसी राइटर से कहा है कि एक्साइज ड्यूटी में कटौती से देश में पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने का मौका मिलेगा.

गौरतलब है कि हाल में बीते गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों के लगातार बढ़ने पर दबाव झेलना पड़ा था. वहीं मौजूदा समय में वैश्विक कारणों से क्रूड ऑयल की कीमतों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. जिसके चलते कई जानकारों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें एक बार फिर 100 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल सकती हैं.

वैश्विक संस्था ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की भविष्यवाणी है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थिति में 2020 तक क्रूड ऑयल की कीमत 270 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है. गौरतलब है कि 2008 में क्रूड ऑयल अबतक के सर्वाधिक स्तर 145 डॉलर प्रति बैरल पर थी. वहीं 2015 और 2016 के दौरान खाड़ी देशों में जारी विवाद और चीन समेत विकासशील देशों में मांग की कमी के चलते क्रूड ऑयल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई.

ओईसीडी की यह भविष्यवाणी का आधार है कि आने वाले वर्षों में चीन और भारत जैसी अर्थव्यवस्थाएं रफ्तार पकड़ने के लिए इंधन के मांग में बड़ा इजाफा कर सकती है.

भारत में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये का पार जाने के लिए जरूरी नहीं कि क्रूड ऑयल इस स्तर को छुए. बीते तीन साल तक देश में क्रूड की कीमत और केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा लिया जा रहा टैक्स पेट्रोल की कीमत को उसी समय 100 रुपये तक पहुंचा सकता है जब एक बार फिर क्रूड ऑयल 2014 के स्तर यानी 100 डॉलर प्रति बैरल को छू ले.

गौरतलब है कि देश में जुलाई 2017 में जीएसटी लागू किया गया लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों को जीएसटी दायरे से बाहर रखी गई. ऐसा इसलिए किया गया कि पेट्रोल-डीजल पर राज्यों द्वारा लगाया जा रहा टैक्स उनके वार्षिक रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा है. जीएसटी के तहत इसे लाए जाने के बाद पूरे देश में पेट्रोल-डीजल पर केन्द्रीय टैक्स लगाकर एक कीमत पर बेचना शुरू हो जाएगा.

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