आंतकवाद पर भारत-जापान की दो टूक, आंतकी अड्डे बंद करे पाकिस्तान

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भारत और जापान ने अपने-अपने विदेश और रक्षा मंत्रियों के पहले टु-प्लस-टु फॉर्मेट डायलॉग में पाकिस्तान में संचालित आतंकवादी ठिकानों से क्षेत्रीय शांति के सामने कायम खतरे पर चिंता प्रकट की। दोनों देशों ने पाकिस्तान से दो टूक शब्दों में कहा कि वह अपने यहां के टेरर नेटवर्क्स पर ‘ठोस और निर्णायक’ कार्रवाई करे।

एफएटीएफ समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मानकों का हवाला
दोनों देशों ने पाकिस्तान सरकार से विशेष तौर पर आंतकवाद से निपटने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से किए वादों पर पूरी तरह खरा उतरने को कहा जिनमें वैश्विक आतंक रोधी संस्था फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के सुझाए कदम भी शामिल हैं।

टु-प्लस-टु फॉर्मेट की पहली बातचीत
अधिकारियों ने बताया कि इस बातचीत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारती प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया जबकि जापानी प्रतिनिधिंडल की अगुवाई वहां के विदेश मंत्री तोशिमित्शु मोतेगी और रक्षा मंत्री तारो कोनो कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष आयोजित 13वें भारत-जापान वार्षिक सम्मेलन में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए टु-प्लस-टु वाली रूपरेखा तय की थी।

टु-प्लस-टु फ्रेमवर्क की पहली बातचीत के बाद जारी भारत-जापान के साझे बयान में कहा गया, ‘मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिाय कि सभी देशों को यह अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करना होगा कि वे अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश पर किसी भी रूप में आतकंवादी हमले के लिए नहीं होने दें।’ इसमें कहा गया, ‘इस संदर्भ में उन्होंने पाकिस्तान से संचालित आतंकी ठिकानों से क्षेत्रीय सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे का उल्लेख करते हुए उसे (पाकिस्तान को) उनके (आतंकवादी ठिकानों के) खिलाफ ठोस और निर्णायक कदम उठाने एवं एफएटीएफ समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय अपेक्षाओं पर खरा उतरने को कहा।’

आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील
भारत और जापान ने अन्य सभी देशों से कहा कि वो अपने यहां आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगाह विकसित नहीं होने दें। दोनों देशों ने अंतराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवादियों के इन्फ्रस्ट्राक्चर, उनके नेटवर्क्स, उनके फंडिंग चैनल्स को ध्वस्त करने के साथ-साथ आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों पर रोक लगाने का आह्वान किया। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘(दोनों देशों के रक्षा और विदेश) मंत्रियों ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे की कड़े शब्दों में आलोचना की और माना कि यह क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है।’

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