आंदोलनों की मौजूदा लहर देश के लोकतंत्र को करेगी मजबूत-प्रणब मुखर्जी

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नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे व्यापक विरोध-प्रदर्शनों के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सहमति और असहमति लोकतंत्र के मूल तत्व हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे मुखर्जी ने विरोध-प्रदर्शनों के हवाले से कहा कि मेरा मानना है कि देश में शांतिपूर्ण आंदोलनों की मौजूदा लहर एक बार फिर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को गहरा और मजबूत बनाएगी। यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे प्रणब के इस बयान ने बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा की है क्योंकि उनके बारे में माना जाता रहा है कि वह मोदी सरकार के प्रति वह नरम रुख रखते हैं। पीएम मोदी और उनके बीच संबंध काफी अच्छे हैं और यहां तक कि वह नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में भी शरीक हो चुके हैं जिसपर कांग्रेस हमेशा हमलावर रहती है।

प्रणब ने की युवाओं की सराहना
मुखर्जी ने चुनाव आयोग द्वारा आयोजित पहले सुकुमार सेन स्मृति लेक्चर में कहा, ‘भारतीय लोकतंत्र समय की कसौटी पर हर बार खरा उतरा है। पिछले कुछ महीनों में विभिन्न मुद्दों पर लोग सड़कों पर उतरे, खासकर युवाओं ने इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज को मुखर किया। संविधान में इनकी आस्था दिल को छूने वाली बात है।’ उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन कानून हो या एनआरसी या यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि का मुद्दा विरोध-प्रदर्शन और अपनी राय जाहिर करने देशभर में लोग सड़कों पर उतरे हैं जिनमें अधिकांश युवा हैं।

लोकतंत्र में विरोध का अहम स्थान
मुखर्जी ने कहा, ‘आम राय लोकतंत्र की जीवन रेखा है। लोकतंत्र में सभी की बात सुनने, विचार व्यक्त करने, विमर्श करने, तर्क वितर्क करने और यहां तक कि असहमति का महत्वपूर्ण स्थान है।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि देश में शांतिपूर्ण आंदोलनों की मौजूदा लहर एक बार फिर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को गहरा और मजबूत बनाएगी।’

ECI की अवमानना से चुनाव प्रक्रिया बदनाम
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि चुनाव आयोग अपना काम अच्छी तरह से कर रहा है और इसने अपने उद्देश्य को पूरा किया है। उन्होंने आगे कहा, ‘चुनाव आयोग की अवमानना से चुनावी प्रक्रिया की बदनामी होगी। जनता का जनादेश अटल है और इसकी पवित्रता सर्वोच्च है।’ उन्होंने इसे बनाए रखना चुनाव आयोग के हाथ में है। वह ऐसा करेंगे और सभी अटकलों को विराम लगाएंगे, ऐसा मुझे भरोसा है।

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