ऐसा पहली बार हुआ जब आतंकियों के शवों को रखा नहीं गया बल्कि उन्हें तुरंत दफना दिया गया। यह फैसला अच्छी तरह सोच-समझकर लिया गया। विचार-विमर्श के बाद इस फैसले पर पहुंचा गया कि आतंकियों के शवों को रखना उनके मजहब के खिलाफ होगा। इसीलिए उड़ी में मारे गए चार आतंकी हमलावरों के शवों को तुरंत ही दफना दिया गया।
हालांकि शवों को तुरंत दफनाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि वे क्षत-विक्षत थे। डॉक्टरों का भी कहना था कि ऐसे शवों को रखना मुमकिन नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर के एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने बताया कि पहले मारे गए आतंकियों के शवों को दफनाने से पहले महीनों तक रखा जाता था। उम्मीद की जाती थी कि उनके परिजन आएंगे और शवों की पहचान करेंगे। लेकिन इस बार जम्मू-कश्मीर में हालात अलग थे।
पुलिस ऑफिसर ने कहा,’इस्लामिक रिवाज के मुताबिक मौत के बाद शव को उसी शाम या रात तक दफना दिया जाना चाहिए। ऐसे में आतंकियों के शवों को रखना मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ हो सकता था। मुस्लिम बहुल आबादी वाली घाटी में पहले ही हालात खराब हैं। इसे देखते हुए शवों को तुरंत ही दफनाए जाने का फैसला किया गया। एक एनआईए टीम ने सभी सबूत और डीएनए सैंपल इकट्ठा कर लिए हैं। वैसे भी पहले हमने आतंकियों के शव सुरक्षित रखे लेकिन इनका कोई फायदा नहीं हुआ। न ही पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें पहचानने की कोशिश की और न उनके परिवार के सदस्य आगे आए।’