इन इलाकों को बताया गया खतरनाक
नोटिस में झरिया के कतरास मोड़ से कोईरीबांध, पोद्दारपाड़ा, चौथाई कुल्ही, कोयला मंडी कतरास मोड़, बिहार टॉकिज, प्रखंड कार्यालय, अंचल कार्यालय, बाल विकास परियोजना कार्यालय, प्रखंड संसाधन केंद्र, राजबाड़ी, बकरीहाट, राजा तालाब आदि इलाके आग और भू-धंसान की जद में बताये गए हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब झरिया को खतरनाक घोषित किया गया है। यहां की खदानों में 100 साल से भी ज्यादा वक्त से आग लगी है।
1916 में पहली बार आग की बात आई सामने
झरिया में पहली बार 1916 में आग की बात सामने आई थी। दरअसल झरिया में आजादी के लगभग 70 साल पहले से कोयले का अवैज्ञानिक तरीके से खनन किया जा रहा था। अब तक इलाके की खदानों से 25 से 30 तल्ले की गहराई तक खनन किया गया है, लेकिन खनन के बाद खाली जगह पर बालू नहीं भरा गया। ऐसे में खदानों की आग धीरे-धीरे और भयंकर होती चली गई। लेकिन इसके साथ ही झरिया सहित आसपास के इलाके में नई आबादी की बसाहट का सिलसिला भी जारी रहा।