इन्फोसिस के सह संस्थापक और इसके पहले चेयरमैन एन.आर.नारायणमूर्ति ने कंपनी के गवर्नेंस में हो रही गड़बड़ी को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि कुछ लोगों को मनमाने ढंग से सेवरेंस पे दिया जा रहा है, इससे अन्य कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है।
उन्होंने कंपनी के पूर्व लीगल और कंप्लायंस हेड डेविड केनेडी और पूर्व सीएफओ राजीवन बंसल को दिए गए सेवरेंस पे पर सवाल उठाए हैं। सेवरेंस पे वह रकम है जो कंपनी किसी एंप्लॉयी को निर्धारित अवधि से पहले कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने पर देती है।
उन्होंने कहा कि इन्फोसिस में नियम है कि एंप्लॉयी को 3 महीने का सेवरेंस पे दिया जाए। लेकिन, केनेडी को 12 महीने का और राजीव बंसल को 30 महीने का सेवरेंस पे दिया गया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह उचित है, क्या इसका कर्मचारियों के मनोबल पर असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि उनको विशाल सिक्का से कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि कंपनी का गवर्नेंस बोर्ड जिस तरह काम कर रहा है, उससे वह दुखी हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ एंप्लॉयी को मोटी रकम सेवरेंस पे के तौर पर देने से बाकी कर्मचारियों में असंतोष हैं। उन्होंने कहा कि इससे सीनियर, मिड्ल और जूनियर लेवल पर एंप्लॉयी के बीच नाखुशी है।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग एंप्लॉयी की ओर से उनको 1,800 से ज्यादा मेल प्राप्त हुए हैं, जिसमें उनलोगों ने अपनी अप्रसन्नता प्रकट की है। एंप्लॉयीज का सवाल है कि उनलोगों को वैरिएबल पे सिर्फ 80 फीसदी मिलती है जबकि कंपनी छोड़ने वाले कुछ एग्जिक्युटिव्स को अगले दो सालों तक के लिए 100 फीसदी वैरिएबल दिया गया है, क्या यह उचित है?
मूर्ति ने कहा कि इन्फोसिस को इन मामलों का समाधान करने की जरूरत है क्योंकि इससे कर्मचारियों का मनोबल गिरा है। उन्होंने कहा, ‘हमलोगों ने मूल्यों और संस्कृति वाले इस संस्थान को बनाने में अपने जीवन के दशकों को बिताए हैं, अब हमें यहां की स्थिति देखकर बुरा लग रहा है।’