एकजुट नहीं हुए तो खत्म हो जाएंगे: लालू

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राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा की जीत के तुरंत बाद तमाम धर्म निरपेक्ष दलों को एकजुट करने की पहल करने का ऐलान किया। इस एकता को वह लोकतंत्र तथा सामाजिक ताने-बाने के लिए जरूरी बताते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने 2019 के चुनावों को देखते हुए बातचीत शुरू कर दी है। अभी फोन से बात कर रहा हूं तथा जल्द ही मिलकर सभी को इक्ट्ठा करेंगे। उन्होंने कहा कि यू.पी. में धर्म निरपेक्ष मतों के बिखराव के कारण भाजपा की जीत हुई है।

यू.पी. में किसी की आंधी नहीं थी, वहां बसपा, समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस के वोट को एक साथ जोड़ दें तो यह लगभग 52 प्रतिशत बन जाता है। भाजपा को इससे बहुत कम वोट मिले। अगर हम एकजुट हो गए तो फिर भाजपा हमारे सामने नहीं टिक पाएगी, परंतु हम एकजुट न हुए तो हम खत्म हो जाएंगे। लालू यादव ने कहा कि उड़ीसा के पंचायत चुनावों में भाजपा को सफलता मिली तथा उसका वोट बढ़ा परंतु इसके पीछे भी हमारा बिखराव ही बड़ा कारण है। यू.पी. में भाजपा के पास तो अपने उम्मीदवार तक नहीं थे। इन्हीं दलों से वह उम्मीदवार भी ले गई। सबसे बड़ा कारण समाजवादी पार्टी का गृह युद्ध रहा। अखिलेश को घर की लड़ाई ने काफी उलझा दिया।

एक प्रश्न के उत्तर में लालू ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अगर सपा, बसपा तथा कांग्रेस एक साथ आ जाएं तो ये (भाजपा) कहीं पर भी नहीं टिकेंगे। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी हैं, पंजाब में कांग्रेस मजबूत है। इसी तरह बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब में सीटों की संख्या काफी है। हम अन्य राज्यों में समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों को जोडऩे की पहल करेंगे। वाम दलों से भी अपील है कि वे एकता के मार्ग पर चलें। कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है, इसलिए उसे महागठबंधन की दिशा में पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यू.पी. की जीत से उत्साहित प्रधानमंत्री मोदी अगले साल 5 राज्यों के चुनाव के साथ ही लोकसभा के चुनाव करवाने की तैयारी में हैं, इसलिए हमें जो भी करना है, जल्दी करना है।

हाथ पर हाथ रखने से काम नहीं चलेगा। पी.एम. उम्मीदवार के नाम पर सहमति पर बोलते हुए लालू ने कहा कि उनका कोई निजी स्वार्थ नहीं है। पी.एम. उम्मीदवार कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, इसके लिए बहुत कसरत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सवाल यह भी बड़ा नहीं है कि किस में पी.एम. मैटीरियल है और किस में नहीं, फिलहाल सबसे पहली जरूरत तो यह है कि सब एक जगह बैठ कर एकजुट हों। कार्यक्रम व रणनीति बनाएं, अभी माहौल बनाने के लिए समय है।

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