कुछ उम्र की पहली मंजिल थी

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कुछ उम्र की पहली मंजिल थी,

कुछ रस्ते थे अनजान बहुत,

कुछ हम भी पागल थे लेकिन,

कुछ वो भी था नादान बहुत,

कुछ उसने भी न समझाया,

ये प्यार नहीं आसान बहुत,

आखिर हमने भी खेल लिया,

जिस खेल में था नुकसान बहुत ।

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