कोरोना वायरस से बचाव के लिए ग्राम स्तर तक जनजागरूकता का प्रसार करें

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कोरोना वायरस से बचाव के लिए जनजागरूकता अत्यंत आवश्यक है। लोगों को पता होना चाहिए कि वह क्या करें क्या नहीं करें। इस संबंध में जिले के ग्रामीण इलाकों तक व्यापक रूप से इस बात का सघन प्रचार-प्रसार किया जाए कि कोरोना वायरस से कैसे बचा जा सकता है। यह निर्देश कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने गुरुवार को आयोजित कार्यशाला में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दिए। कार्यशाला में कोरोना वायरस से उत्पन्न बीमारी एवं बचाव तथा सावधानियों के संबंध में विस्तृत जानकारी पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई।

कार्यशाला में डिप्टी कलेक्टर सुश्री शिराली जैन, एसडीएम सुश्री लक्ष्मी गामड़, श्री प्रवीण फुलपगारे, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रभाकर नानावरे, डीपीएम डॉ. अजहर अली, जिला सर्विलेंस अधिकारी डॉ. प्रमोद प्रजापति, मीडिया अधिकारी स्वास्थ्य श्री आशीष चौरसिया, जिला महिला बाल विकास अधिकारी श्रीमती सुनीता यादव, जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी आदि उपस्थित थे। विकासखंडों से भी वीसी के माध्यम से विकासखंड स्तरीय अधिकारी कार्यशाला से कनेक्ट थे।

कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने कार्यशाला में निर्देश दिए कि विकासखंड स्तर के शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों को भी इसी प्रकार कोरोना वायरस के संबंध में प्रशिक्षित किया जाए ताकि वह ग्रामीण क्षेत्रों में सघन रूप से जागरुकता का प्रसार कर सकें। कार्यशाला में बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिवेदन के अनुसार भारत में कोरोना वायरस की घातक का दर केवल 2.1 प्रतिशत है जबकि 2003 में फैले सोर्स की घातकता दर 10 प्रतिशत थी। 2012 में सामने आए मर्स की घातकता 33 प्रतिशत थी। इस संबंध में जागरूकता आवश्यक है, लोग अनावश्यक यात्रा नहीं करें, बस, रेल, हवाई यात्रा में सामूहिक दूरी रखी जाए। सार्वजनिक स्थानों का नियमित रोगाणुनाशन किया जाना चाहिए। अस्पताल में भर्ती मरीजों से परिजनों, दोस्तों, बच्चों को मिलना नियंत्रित हो, पूर्व से नियोजित सामुदायिक कार्यक्रमों का सीमित समारोह हो, संभव हो तो स्थगित किया जाए। खेलकूद कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं भी स्थगित की जाए। धार्मिक स्थलों पर जनसभाओं को सीमित किया जाए। लोगों के बीच दूरी बनाकर रखी जाए, यथासंभव भीड़भाड़ कम हो।

कार्यशाला में बताया गया कि नोबेल कोरोना वायरस का प्रसार पोल्ट्री पदार्थों से सीधे तौर पर होने की कोई जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। विशेषज्ञों की राय के अनुसार भोज्य पदार्थों को धोकर एवं स्वच्छ रूप से अच्छी तरह पकाकर ही खाना चाहिए। कार्यशाला में बताया कि लगभग 80 प्रतिशत रोगियों में केवल हल्के लक्षण होते हैं और वह दो सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। कोरोना वायरस से बचाव के लिए सभी शैक्षणिक संस्थाओं, स्कूल, कॉलेज, जिम, समुदायिक भवन, स्विमिंगपुल, सिनेमाघरों को बंद किया गया है। सभी छात्रों को घर पर ही रहने का परामर्श दिया गया है। निजी संस्थाओं द्वारा कर्मचारियों को घर से काम करने के विकल्प पर कार्य करना है।

बताया गया कि सर्दी, जुकाम, तेज बुखार, सूखी खांसी तथा सांस लेने में तकलीफ कोरोना के प्रमुख लक्षण है। बुजुर्ग लोगों में कोरोना का गंभीर संक्रमण होने की संभावना होती है। प्रायः बच्चों तथा युवा वयस्कों में कोरोना वायरस से संभावित बीमारी हल्की होती है। 18 वर्ष से कम उम्र के केवल 2 प्रकरण ही निवेदित हुए हैं इनमें से भी 3 प्रतिशत से कम बच्चों में ही गंभीर या जटिल रोग होना पाया गया है। कोरोना वायरस का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक आंख, नाक एवं मुंह के रास्ते, छीक या खांसी की बूंदों द्वारा फैलता है। संक्रमित रोगी के निकट संपर्क से भी फैल सकता है। संक्रमित वस्तुओं जैसे टेबल, कुर्सी, पेन, सेलफोन, बर्तन आदि के संपर्क से भी कोरोना वायरस फैल सकता है। बताया गया कि शाकाहारी अथवा मांसाहारी खाने की वस्तुओं से आमतौर पर कोरोना संक्रमण नहीं फैलता। हालांकि खुली खाद्य वस्तुओं पर संक्रमित बूंदे पडने के बाद उपभोग करने से संक्रमण की संभावना हो सकती है। नोवैल कोरोना वायरस का प्रसार पोल्ट्री पदार्थों से सीधे तौर पर होने की कोई जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। विशेषज्ञों की राय अनुसार भोज्य पदार्थों को धोकर व स्वच्छ रूप से अच्छी तरह पकाकर ही खाना चाहिए। अभी तक पालतू या अन्य जानवरों में कोरोना से बीमारी प्रतिवेदन नहीं है फिर भी जानवरों से संपर्क के पहले एवं बाद में हाथ धोना उचित है।

कार्यशाला में बताया गया कि 16 मार्च 2020 की स्थिति में अगर बुखार, खांसी, सांस की तकलीफ के साथ निम्न में से कोई भी तकलीफ हो जैसे कोरोना वायरस प्रभावित क्षेत्रों में भ्रमण या ऐसे किसी व्यक्ति के निकट संपर्क से या कोरोना वायरस के उपचार रोगियों के लिए चयनित स्वास्थ्य केंद्र प्रयोगशाला में जाने से तो कोरोना वायरस का संक्रमण संभव हो सकता है। बताया गया कि वायरस की अत्याधिक संक्रामकता को देखते हुए केवल चिन्हित विशेष प्रयोगशालाओं में ही जांच की अनुशंसा है। फिलहाल केवल बायोसेफ्टी लेवल 4 प्रयोगशालाओं में ही कोरोना वायरस के सैंपल परीक्षण किए जा सकते हैं। प्रदेश में वर्तमान में पुराना वायरस की जांच हेतु एम्स भोपाल तथा एनआईआरटीएच की प्रयोगशाला को को ही चिन्हित किया गया है।

कार्यशाला में सामान्य जुकाम तथा कोरोना वायरस के बीच में अंतर को समझाया गया। बताया गया कि सामान्य जुकाम में इनक्यूबेशन अवधि 1 से 3 दिन, फ्लू में 1 से 4 दिन, कोरोना वायरस में 2 से 14 दिन की होती है। लक्षणों का दिखना सामान्य जुकाम में, धीरे-धीरे फ्लू में एकदम से तथा कोरोना वायरस में धीरे-धीरे होता है। लक्षणों की अवधि सामान्य जुकाम में 2 से 7 दिन, फ्लू में 3 से 7 दिन तथा कोरोना वायरस में मंद प्रकरण के तहत 2 सप्ताह तथा गंभीर प्रकरण में 3 से 6 सप्ताह की अवधि होती है। सामान्य लक्षणों के तहत सामान्य जुकाम में कभी-कभी बुखार प्रायः नाक का बहना, गले में खराश, खांसी होती है। यदा-कदा शरीर में ऐंठन तथा सांस लेने में कठिनाई होती है जबकि फ्लू में आमतौर पर बुखार रहता है।

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