चीन के आतंकी डोल्कन ईसा केस में भारत का यू-टर्न, विदेश मंत्रालय ने कैंसिल किया वीजा

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भारत ने चीन में आतंकी माने जाने वाले डोल्कन ईसा को वीजा देने से इनकार कर दिया है. चीन लगातार डोल्कन ईसा को वीजा देने का विरोध कर रहा था. हालांकि भारत ने वीजा रद्द करने के पीछे गलत कैटेगरी में वीजा अप्लाई किए जाने को वजह बताया है.

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, चीन के वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) के लीडर डोल्कन ईसा ने टूरिस्ट वीजा के लिए अप्लाई किया था. अगर वह टूरिस्ट वीजा पर भारत आते हैं तो कॉन्फ्रेंस को संबोधित नहीं कर सकते. वीजा रद्द करने का यही कारण डोल्कन को भी बताया गया है. इसके साथ ही चीन की ओर से लगातार बनाया जा रहा दबाव और इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी वीजा रद्द होने के पीछे एक कारण माना जा रहा है.

चीन ने दर्ज कराई थी आपत्ति
डोल्कन ईसा को वीजा दिए जाने की बात पर चीन ने कहा था कि ईसा आतंकवादी है. इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है और यह सभी देशों की जिम्मेदारी है कि उसे पकड़ा जाए.

मसूद अजहर का बदला ले रहा था भारत?
माना जा रहा था कि भारत ने डोल्कन को वीजा देने का दांव मसूद अजहर को यूएन से आतंकी घोषित करवाने में चीन के रोड़ा अटकाने के बदले में खेला है. उइगर लीडर्स पर शिंजियांग में टेररिज्म को बढ़ावा देने का है आरोप है. चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन हुआ शुनयिंग ने मीडिया से बातचीत में कहा- मैं ये कहना चाहता हूं कि डोल्कन चीनी पुलिस की नजर में एक आतंकवादी है. उसके खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 28 अप्रैल से 1 मई तक एक कॉन्फ्रेंस होगी और ईसा को इसमें शामिल होने के लिए इनवाइट किया गया है. तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा इस कॉन्फ्रेंस को एड्रेस कर सकते हैं. उइगर लीडर्स की दलाई से मुलाकात होने के आसार हैं. यह कॉन्फ्रेंस अमेरिका के ‘सिटीजन पावर फॉर चाइना’ की ओर से की जा रही है. इसके चीफ यांग जियानली हैं. जो 1989 में थियानमेन स्क्वेयर पर हुए प्रोटेस्ट में शामिल थे.

कौन है डोल्कन ईसा?
म्यूनिख के रहने वाले डोल्कन ईसा को 1990 में जर्मनी ने शरण दी थी. ईसा वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) का लीडर है. WUC चीन से बाहर रहने वाले उइगर कम्युनिटी के लोगों का एक ग्रुप है. ईसा पर चीन के शिंजियांग प्रोविंस में आतंकवादी घटनाओं में शामिल होने और लोगों की हत्या की साजिश रचने का आरोप है. 1997 से वह इंटरपोल की लिस्ट में है. चीन का मानना है कि उइगर लीडर्स मुस्लिम बहुल शिंजियांग प्रोविंस में आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं.

बता दें कि शिंजियांग में उइगर मुसलमानों की आबादी एक करोड़ से ज्यादा है और इन्हें तुर्किक मूल का मुस्लिम माना जाता है. कई सालों से अलग-अलग मांगों को लेकर यहां उइगर मुसलमान प्रोटेस्ट कर रहे हैं. चीन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) को एक आतंकवादी ग्रुप मानता है. जबकि डोल्कन ईसा का कहना है- ईस्ट तुर्किस्तान और इंडिया के बहुत पुराने और अच्छे रिलेशन थे. इसीलिए उइगर लोग भारत को प्यार करते हैं.

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