चुप रहने से भी आती है रिश्तों में दूरी

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शहद सा मीठा और इमली सा खट्टा होता है पति-पत्नी का रिश्ता, कभी प्यार भरी बातें, मान मनुहार तो कभी नोक झोंक, फिर भी कभी-कभी प्यार भरे इस रिश्ते में ऐसा मौन छा जाता है कि समझ में ही नहीं आता कि इसे तोड़ा कैसे जाए। वास्तव में नोक-झोंक कई बार उस मोड़ पर आ खड़ी होती है कि दोनों में बातचीत बंद हो जाती है, भले ही इसका कारण कई बार बहुत छोटा-सा होता है, फिर भी लंबे समय तक की खामोशी इस रिश्ते में कड़वाहट ला कर उसे तोड़ देने के लिए काफी होती है। यदि संबंधों में आई उस कड़वाहट, संवादहीनता और मौन को समय रहते दूर कर लिया जाए तो परिवार के बिखराव का डर नहीं रहता। यदि पति पत्नी में से एक शांत और दूसरा तेज स्वभाव वाला हो तो दोनों के बीच संतुलन बना रह सकता है, परंतु यदि दोनों ही स्वभाव से तेज एवं गुस्से वाले हों तो वैचारिक टकराव के साथ-साथ शाब्दिक टकाराव भी उठ खड़ा होता है, जो कि कई बार लंबे मौन का रूप तैयार कर लेता है।

मौन का कारण
आमतौर पर पति पत्नी के बीच कुछ ऐसी बातें हर घर में हो जाती हैं, जो कि संबंधों में मौन का कारण बन जाती हैं, जिन्हें समय रहते ही दूर कर लिया जाना बेहद जरूरी है।

निशाना दूसरे क्यों
अक्सर पति पत्नी आपसी मन मुटाव का शिकार एक दूसरे के परिवार के सदस्यों को बना लेते हैं और अपने दिल की भड़ास एक-दूसरे के परिवार के सदस्यों के विरोध में बोल कर निकालते हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है, जो कि बात को शांत करने की अपनेक्षा और ज्यादा बढ़ा देता है और एक की कही बात दूसरे के दिल में कहीं गहरे तक जा कर चोट करती है। अत: लड़ते समय या बहस के दौरान आप दूसरों को निशाना ना बनाएं, क्योंकि वास्तव में वे तो आपके मुटाव में कहीं शामिल भी नहीं होते।

अहं बने कारण
पति-पत्नी के बीच जब किसी भी चीज को ले कर अहं भाव का आ जाता है, तो फिर वह प्यार की सीमा लांघ कर अहंकार बन जाता है। ऐसे में कई बार पति या पत्नी दूसरों के सामने भी एक दूसरे का अपमान कर देते हैं, जिससे कि दूसरे के स्वाभिमान को ठेस लगना स्वाभाविक सी बात है। ध्यान रखें कि पति पत्नी के संबंधों में अहंकार नहीं, बल्कि स्वाभिमान होना चाहिए।

दोस्त बनें दीवार
पति-पत्नी का एक दूसरे के उन दोस्तों एवं सहेलियों को ले कर विवाद होना बेहद आम सी बात है, परंतु हर समय इस टॉपिक पर सामने वाले को टोकना या नीचा दिखाना पारिवारिक माहौल को खराब कर देता हैं, सो बेहतर है कि अपने रिश्ते को बचाए रखने के लिए वे अपने दोस्तों को कम तरजीह दें क्योंकि परिवार की शांति से बढ़ कर कुछ नहीं होता। यदि आप की मित्र मंडली आपके वैवाहिक जीवन में जहर घोल रही है, तो दोस्तों को एक सीमा तक ही महत्व देना सही रहेगा।

निर्णय लादना
पति-पत्नी होने के बावजूद भी हर किसी का अपना व्यक्तित्व है, सो किसी भी बात को ले कर एक दूसरे पर अपना ही निर्णय थोपने का प्रयास न करें, क्योंकि हर कोई अपने जीवन को अपने ढंग से जीना चाहता है।

इन्हें अवॉयड् करें 
पति-पत्नी अपने झगड़े और उससे पनपे मौन को स्वयं ही कुछ बातों का ध्यान रख कर दूर कर सकते हैं।

झगड़ों से छाया मौन संबंधों में आई दरार को खाई का रूप दे देता है, जो परिवार के बिखराव का कारण बन जाता है, सो अपने संबंधों में मौन ना छाने दें। यदि ऐसी स्थिति आ भी गई है, तो उसे तोडऩे की स्वयं ही पहल करें।

यदि आप से कुछ नहीं हो पा रहा तो बच्चों को चुप्पी तोडऩे का माध्यम बनाएं क्योंकि बच्चे इस काम को बड़ी आसानी से ही नहीं, बल्कि सफलता पूर्वक कर लेते हैं।

संबंधों में एकरसता एवं बोझिलता ना आए, इसके लिए कुछ एकांत पल एक दूसरे को दें, जिस में आप एक दूसरे से शिकवे शिकायतें कर उसे दूर कर सकें या फिर कहीं पिकनिक पर जाएं, ताकि अपने रिश्ते को फिर से तरोताजा बना सकें।

कई बार रोजमर्रा की छोटी- छोटी तकरार भी गहरे विवाद का रूप ले कर मौन का कारण बन जाती हैं, जिससे परिवार टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। परिवार के टूटने का कारण भले ही कोई भी हो, परंतु इस का खमियाजा बड़ों के साथ बच्चों को भी जिंदगी भर भुगतना पड़ता है। दांपत्य संबंधों में विवाद से उपजे मौन को समय रहते तोड़ देना ही बेहतर होता है और यदि वह पहल नहीं करते तो आप खुद पहल की सकती हैं।

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