ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के घूंघट करने की प्रथा पर प्रहार करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को यहां कहा कि ‘जमाना गया घूंघट का।’ नारी अधिकारों के लिए काम कर रहे एक संगठन के कार्यक्रम में महिलाओं के बिना घूंघट शामिल होने की ओर इशारा करते हुए गहलोत ने कहा कि कुछ ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अब भी घूंघट करती हैं। उन्होंने कहा, ‘समाज को किसी महिला को घूंघट में कैद करने का क्या अधिकार है?’
गहलोत ने कहा, ‘जब तक घूंघट नहीं हटेगा महिला कभी आगे नहीं बढ़ पाएगी। जमाना गया घूंघट का।’ उन्होंने कहा- हिम्मत और हौसले के साथ आपको आगे बढ़ना पड़ेगा। सरकार आपके साथ खड़ी मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब जमाना बदल गया है और नारी शक्ति को घूंघट में कैद नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब महिलाओं को घूंघट में रखा जाता था। आज वक्त बदल चुका है। महिलाएं पढ़-लिखकर हर क्षेत्र में सफलता के झंड़े गाड़ रही हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण हम सबके सामने है, जिन्होंने 17 साल तक देश का सफल नेतृत्व किया। गहलोत महिलाओं के इस कार्यक्रम में बाल विवाह के खिलाफ भी बोले और कहा कि बाल विवाह नहीं होने चाहिए क्योंकि उससे जिंदगी सिर्फ बर्बाद होती है। उन्होंने बताया कि हाल ही में जनसुनवाई के दौरान एक बच्ची शिकायत लेकर आई कि उसका बाल विवाह किया जा रहा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बच्ची का बाल विवाह नहीं होना चाहिए और अगर वह पढना चाहे तो सरकार पूरी मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रहे संगठन समाज से डायन प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों व अंधविश्वासों के उन्मूलन के लिए आगे आकर राज्य सरकार का सहयोग करें। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक के इस युग में ऐसी कुप्रथाओं और अंधविश्वासों को उचित नहीं कहा जा सकता। समाज की उन्नति में ये बाधक हैं। सामाजिक संस्थाएं इन कुप्रथाओं के खिलाफ वातावरण तैयार करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।