उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इंटरव्यू में कहा कि 11 मार्च के चुनावी नतीजे उनके पक्ष में आएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी संकेत दिए कि चुनाव परिणामों में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनने पर वह मायावती से हाथ मिलाना पसद करेंगें। उत्तर प्रदेश में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में समाजवादी पार्टी की रणनीति क्या होगी? इस सवाल पर अखिलेश यादव का कहना था, हां अगर सरकार के लिए ज़रूरत पड़ेगी तो राष्ट्रपति शासन कोई नहीं चाहेगा। हम नहीं चाहते कि यूपी को बीजेपी रिमोट कंट्रोल से चलाए।
कांग्रेस संग गंठबंधन पर अखिलेश ने कहा, “राहुल भी चाहते हैं कि प्रदेश का विकास हो. मैं राहुल गांधी को पहले से ही जानता हूं. हमने एक संदेश दिया कि जो धर्मनिरपेक्ष सरकार चाहते हैं जो विकास के लिए सरकार चाहते हैं इसलिए कांग्रेस का साथ दिया. मैं कंजूस के साथ दोस्ती नहीं करता.”
नरेश अग्रवाल ने दी सफाई
अखिलेश के बयान पर सपा के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा, “अखिलेश जी ने बीएसपी या बहनजी का नाम नहीं लिया है. उनका उद्देश्य सांप्रदायिक ताकतों को राज्य से बाहर रखने का है.”
बता दें कि चुनाव के नतीजों पर SP के कद्दावर नेता और कैबिनेट मिनिस्टर आजम खान का बयान भी आ चुका है। उनका कहना है कि अगर उनकी पार्टी हारती है तो इस हार के लिए अखिलेश अकेले जिम्मेदार नहीं होंगे। उनकी हार, सबकी हार होगी।