समाज के कुछ रिवाज और परम्पराये है। हमारे मुंडन संस्कार के अनुसार, शिशु के सिर के बाल उतारे जाते हैं। इस संस्कार को बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि मनुष्य के जन्म के समय जो बाल सिर पर होते हैं वह अपवित्र होते हैं। उन्हें काटे बिना मनुष्य विकास नहीं कर सकता।
मुंडन संस्कार की आयु:
हिन्दू धर्मानुसार यह संस्कार बालक के जन्म के पहले वर्ष या तीसरे वर्ष में कराया जाता है। इस दौरान काटे गए बालों को किसी देवता को भेंट करने का विधान है। अधिकतर मुंडन संस्कार किसी मंदिर या पवित्र नदी के किनारे ही किया जाता है।
मुंडन संस्कार का महत्व:
बाल कटवाने से सिर की अनावश्यक गर्मी निकल जाती है।
नवजात बच्चे के सिर पर जो बाल होते हैं उसमें कई तरह के कीटाणु होते हैं। मुंडन कराने से यह खत्म हो जाते हैं।
हिन्दू धर्म के अनुसार मुंडन कराने से मनुष्य का बौद्धिक विकास बना रहता है।