‘ट्विंकल डागरे हत्याकांड’: किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा-मुख्यमंत्री कमलनाथ

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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस नेत्री ट्विंकल डागरे हत्याकांड के 2 साल बाद हुए खुलासे के बाद कड़ा रूख अपनाते हुए इसके दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस हत्याकांड की सूक्ष्मता और निष्पक्षता से जाँच करने के निर्देश प्रशासन को दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने इस मामले में इंदौर आईजी वरुण कपूर को निर्देश देते हुए कहा कि परिवार के लगातार गुहार के बावजूद क्या कारण रहे, जिससे इस हत्याकांड का 2 वर्ष तक ख़ुलासा नहीं हो सका ? किसके दबाव में अभी तक यह हत्याकांड दबा रहा, एक बेटी को न्याय नहीं मिल ? किसका आरोपियों को संरक्षण रहा? कौन- कौन अधिकारी इस केस की जाँच से जुड़े रहे और किसने इस हत्याकांड को उजागर करने में लापरवाही बरती? कौन-कौन इसके दोषी है, उन पर कड़ी कार्रवाई हो ? उन्हें बख़्शा नहीं जाए। क्या कोई राजनैतिक संरक्षण इस केस को लेकर था, उसका भी ख़ुलासा किया जाए।

कमलनाथ ने कहा कि,” मेरी सरकार बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ का नारा देने में विश्वास नहीं करती है। वो इसे अपना प्रमुख कर्तव्य समझती है। मेरी सरकार में बहन-बेटियों की सुरक्षा , सम्मान से कभी समझौता नहीं होगा और इसका दोषी कितना भी बड़ा व्यक्ति हो, बख़्शा नहीं जायेगा।”

सीएम कमलनाथ ने प्रदेश के सभी ज़िम्मेदार अधिकारियों को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मेरी सरकार में बहन- बेटियां की सुरक्षा-सम्मान में कोई कोताही ना बरती जाए। बहन- बेटियों के लिये प्रदेश में सुरक्षित माहौल तैयार किया जाए। जहाँ वे बेख़ौफ़ आ जा सके। बहन- बेटियों की सुरक्षा व सम्मान मेरी सरकार की पहली प्राथमिकता में है। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही या कोताही में बर्दाश्त नहीं करूँगा। इसके दोषियों को क़तई बख़्शा नहीं जाएगा।

इस हत्याकांड को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा इंदौर की एक बेटी ट्विंकल डागरे जो पिछले 2 वर्ष से लापता थी। जिसको ढूंढने को लेकर और उसकी हत्या की आशंका जताकर उसका परिवार निरंतर गुहार लगा रहा था। हर दरवाज़े पर दस्तक देता रहा। धरना देने से लेकर उन्हें न्यायालय तक गुहार लगाना पड़ी। उनकी पिछले 2 वर्षों में कही सुनवाई नहीं हुई। जबकि इंदौर को पूर्व मुख्यमंत्री अपने सपनों का शहर बताते थे। उनकी सरकार बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ का नारा देती थी। उनकी चुनावी सभा तक में पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लेकर गया, लेकिन उन्हें अपमानित कर भगा दिया गया, उन्हें न्याय नहीं मिला। फ़िल्मी पटकथा की तर्ज़ पर घटित मानवता और हैवानियत को तार- तार कर देने वाला जघन्य हत्याकांड 2 वर्ष तक दबा रहा ? पीड़ित परिवार आरोपियों का नाम लेकर निरंतर हत्या की शंका ज़ाहिर करता रहा लेकिन आरोपियों को बचाया जाता रहा। आखिर क्या कारण रहे?

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