ताजमहल पर मालिकाना हक को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड और ASI (भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग) आमने सामने हैं. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही हैं. वक्फ बोर्ड ने SC में अपना पक्ष रखते हुए कहा, ताजमहल पर मालिकाना हक का दावा कोई भी इंसान नहीं कर सकता. ये अलमाइटी (सर्व शक्तिमान) की संपत्ति है. हम तो इसके रक्षक यानी कस्टोडियन हैं. हम मालिकाना हक नहीं मांग रहे हैं.
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हमारे पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि ताजमहल को हमारे नाम किया गया था. लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर ये कहा जा सकता है कि ये वक्फ की संपत्ति है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करना ही मुख्य समस्या है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आपने एक बार प्रॉपर्टी को रजिस्टर कर दिया है, लेकिन आप उसपर दावा नहीं कर रहे हैं. ये प्रॉपर्टी को अपने पास रखने का कोई आधार नहीं हो सकता.
27 जुलाई को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने ASI को कहा कि अगली सुनवाई पर आप कोर्ट को बताएं कि जो सुविधाएं अभी आप वक्फ को दे रहे हैं उन्हें जारी रखना है या नहीं? ASI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति माना जाता है तो कल को लाल किला और फतेहपुर सीकरी पर अपना दावा करेंगे.
अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में ये कौन विश्वास करेगा कि ताजमहल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. इस तरह के मामलों से सुप्रीम कोर्ट का समय जाया नहीं करना चाहिए.