देशद्रोह के कानून को समाप्त नहीं करेगी सरकार-गृह मंत्रालय

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नरेंद्र मोदी सरकार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) कानून के तहत देशद्रोह के कानून को समाप्त नहीं करेगी. गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि देशद्रोही, अलगाववादी और आतंकवादी तत्वों से निपटने के लिए इस कानून का रहना आवश्यक है. बता दें, कांग्रेस ने 2019 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस कानून को समाप्त करने की बात कही थी.

बुधवार को लिखित बयान में गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार देशद्रोह कानून पर अपना स्टैंड बरकरार रखेगी. जब पूछा गया कि क्या सरकार ब्रिटिश काल से चले आ रहे आईपीसी के सेक्शन 124ए को हटाने की कोशिश कर रही है तो गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, ”देशद्रोह से जुड़े कानून को खत्म करने का कोई प्रावधान नहीं है. राष्ट्र विरोधी, आतंकियों और पृथकतावादियों से निपटने के लिए इस कानून का होना जरूरी है.”

भारतीय कानून संहिता (आईपीसी) की धारा 124A में देशद्रोह की दी हुई परिभाषा के मुताबिक, अगर कोई भी शख्स सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसे आजीवन कारावास या तीन साल की सजा हो सकती है.

लोकसभा 2019 चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में देशद्रोह कानून को हटाने का वादा किया था. चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि देश ने नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद काफी विकास देखा है. एनडीए सरकार अगर सत्ता में लौटी तो देशद्रोह कानून को और सख्त बनाएगी. कांग्रेस के देशद्रोह कानून हटाने के वादे पर पर उन्होंने कहा था कि सरकार देशद्रोह कानून को इतना सख्त बनाएगी कि देशद्रोहियों की आत्मा कांप उठेगी.

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