आज यानी बुधवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो चुके हैं. नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है. नवरात्र के नौ दिनों में एक-एक दिन मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चन्द्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी, मां सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा की आराधना महिलाओं के अदम्य साहस, धैर्य और स्वयंसिद्धा व्यक्तित्व को समर्पित है.
नवरात्र के पहले दिन किस देवी की करें पूजा?
आज यानी नवरात्र के पहले दिन मां शेलपुत्री की पूजा होती है. इस दिन सबसे पहले कलश स्थापना होती है और फिर अन्य देवी देवताओं के साथ मां शैलपुत्री की पूजा होती है. मां शैलपुत्री पार्वती का ही रूप हैं और उन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री कहा जाता है.
क्यों होती है देवी शैलपुत्री की पूजा?
मान्यता है कि जब देवी सति ने पुनर्जन्म ग्रहण किया था तो इसी रूप में प्रकट हुई थीं. यही कारण है कि मां भगवती के पहले रूप के तौर पर शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इसेक अलावा माना ये भी जाता है कि देवी पार्वती शिव से विवाह के पश्चात हर साल नौ दिन अपने मायके यानी पृथ्वी पर आती थीं. नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज अपनी पुत्री का स्वागत करके उनकी पूजा करते थे, इसलिए नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रुप की पूजा की जाती है.
मान्यता है कि शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति को सुख, सुविधा, माता, घर, संपत्ति, में लाभ मिलता है. मनोविकार दूर होते हैं. इन्हें सफेद फूल चढ़ाएं, गाय के घी का दीपक जलाएं. दूध-शहद और खोए की मिठाई का भोग लगाएं.