भारत को और अधिक मजबूत बनाने के लिए ‘चाणक्य नीति’ को अपनाने की जरूरत है-शाह

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भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को कहा कि हर क्षेत्र में भारत को और अधिक मजबूत बनाने के लिए ‘चाणक्य नीति’ को अपनाने की जरूरत है। शाह ने यहां एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चाणक्य ने 2400 साल पहले विभिन्न किताबें लिखी थीं जिनमें युद्ध की तैयारी, राष्ट्र में शांति की स्थापना और देश को हर क्षेत्र में कैसे और अधिक मजबूत बनाने के तरीके को शामिल किया गया है।

शाह यहां गणेश कला क्रीडा परिसर में महान सामाजिक सुधारक रामभाऊ महल्गी की याद में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा ‘चाणक्य नीति’ विषय पर आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। शाह ने कहा कि चाणक्य ने भी अपनी पुस्तक में उल्लेख किया था कि भ्रष्टाचार देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है और देश की समृद्धि केवल तभी संभव है जब भ्रष्टाचार को समाज से खत्म किया जाय। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व शासकों ने ‘चाणक्य नीति’ को पूरी तरह से सीखा और अपनाया था, जिसके कारण कोई भी अगले एक हजार वर्षों तक भारत पर हमला करने की हिम्मत नहीं कर सका था। उन्होंने कहा कि उस समय न्यायिक व्यवस्था और देश की सुरक्षा तथा संरक्षा मजबूत थी।

‘चाणक्य‘ और उनकी नीति तथा विचारों की बार-बार प्रशंसा करते हुए शाह ने कहा कि चाणक्य के दौर में कर के रूप में धन का संग्रह कर उसे समाज को वितरित किया गया था। उन्होंने कहा कि उन पुस्तकों से सीखने का समय आ गया है जो हर क्षेत्र में समृद्धि ला सकता है। चाणक्य ने कभी भी किसी भी समुदाय की संस्कृति को तोडऩे या विभाजित करने की कोशिश नहीं की।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ‘वंशवादी’ राजनीति की निंदा करने के लिए रविवार को प्राचीन काल के दार्शनिक चाणक्य का हवाला दिया। उन्होंने यहां रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी (आरएमपी) में 12 वां रामभाऊ म्हालगी व्याख्यान देते हुए कहा, ‘‘चाणक्य ने करीब 2300 साल पहले वंशवाद की राजनीति की निंदा की थी और उनका दर्शन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अब भी प्रासंगिक है।’’ उन्होंने आरएसएस से काफी करीब से जुड़ी संस्था में ‘आर्य चाणक्य का जीवन और उनका कार्य’ विषय पर अपने संबोधन में कहा, ‘‘शासकों के बारे में जहां तक चाणक्य की सोच की बात है तो उन्होंने साम्राज्य चलाने में वंशवाद के विचार का विरोध किया था।

शाह ने कहा कि जरूरी नहीं है कि अक्षम वरिष्ठ को साम्राज्य के शासन की बागडोर दे दी जाए। सबसे योग्य, भले ही वह छोटा क्यों न हो, को साम्राज्य चलाने देना चाहिए।’’ शाह ने कहा, ‘‘(चाणक्य के अनुसार) यदि शासक का एकमात्र पुत्र है और वह साम्राज्य का शासन चलाने में समर्थ न हो तो मंत्रिमंडल को सक्षम को चुनना चाहिए।’’ हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी खास व्यक्ति पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चाणक्य ने पहले ही लिख दिया है कि राजा संविधान का प्रधान सेवक होता है और हमारे प्रधानमंत्री ने भी कहा कि वह प्रधान सेवक हैं।’’

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