लोक-कल्याण एवं पर्यावरण शुद्धि के लिए पार्थिव शिवलिंग निर्माण

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वर्तमान समय में सबसे अधिक जरूरत है पर्यावरण को संरक्षित कर प्रदूषणमुक्त बनाने की। पार्थिव शिवलिंग निर्माण से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है बल्कि काली मिट्टी में जीवाश्म होने के कारण यह पेड़, पौधों और जल शुद्धि के लिए उपयोगी है।

यह बात सिंहस्थ महापर्व के दौरान पार्थिव शिवलिंग निर्माण मिशन से जुडे़ संत श्री विष्णु प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी ने कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए देश के प्रत्येक नागरिक खासकर युवाओं को आगे आकर अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 से शिवलिंग निर्माण मिशन को समाज कल्याण एवं पर्यावरण शुद्धिकरण से जोड़ा गया है। शिवलिंग निर्माण में काली मिट्टी का उपयोग होता है। निर्माण के बाद मिट्टी को भक्त ले जाकर फल-फूल, क्यारी आदि में डालते हैं। इस मिट्टी में जीवाश्म होने के कारण पौधे तेज़ गति से बढ़ते हैं। आस्था के कारण लोग पौधों की देखभाल विशेष रूचि लेकर करते हैं, जिससे वातावरण हरा-भरा रहता है। काली मिट्टी से जल का भी शुद्धिकरण होता है।

पर्यावरण स्वच्छता के साथ रोजगार-आशुतोष राणा

दद्दा जी के परम शिष्य एवं मुम्बई फिल्म नगरी के प्रसिद्ध कलाकार श्री आशुतोष राणा ने कहा कि दद्दा जी द्वारा पर्यावरण शुद्ध बनाने के लिए प्लास्टिक के दोने-पत्तल के स्थान पर 10 से 15 लाख पत्ते के दोना-पत्तलों का उपयोग भंडारे के लिए किया है। इससे न केवल प्लास्टिक से पर्यावरण प्रदूषण बचा है अपितु दोना-पत्तल निर्माण में लगे श्रमिकों को रोजगार भी मिला है।

श्री आशुतोष राणा ने बताया कि पर्यावरण शुद्धि के लिए वृक्षारोपण जरूरी है। पार्थिव शिवलिंग निर्माण के बाद ट्राली भर कर काली मिट्टी, बगीचे निर्माण के लिए इन्दौर और उज्जैन के भक्त ले गए हैं, जो पौध रोपण कर पर्यावरण को हरा-भरा करेंगे।

चार करोड़ से अधिक पार्थिव शिवलिंग निर्माण करा चुके संत श्री दद्दा जी ने बताया कि शिवलिंग निर्माण से सामाजिक सद्भाव बढ़ाने का भी काम किया जाता है। पार्थिव शिवलिंग निर्माण के दौरान सभी वर्ग, जाति के लोग एक साथ पूजन, हवन, यज्ञ में शामिल रहते हैं। इस सिंहस्थ में सवा पाँच करोड़ शिवलिंग निर्माण का लक्ष्य था। श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और 17 करोड़ 7 लाख 2 हजार 893 पार्थिव शिवलिंग बनाए। पार्थिव शिवलिंग की मिट्टी का उपयोग भक्त अपने यहाँ बगीचों में पौधा रोपण करने के लिए ट्राली भर-भर कर ले जा रहे हैं।

अतिथि सत्कार के लिए प्रतिबद्ध दिखी मध्यप्रदेश सरकार

श्री विष्णु प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी ने कहा कि हमारा यह दूसरा सिंहस्थ है। इसमें जो व्यवस्थाएँ स्थाई निर्माण, स्वच्छता, प्लानिंग आदि देखने को मिली है, वैसी पहले नहीं देखी गई। इस बार मुख्यमंत्री, मंत्रीमंडल के सदस्य और मध्यप्रदेश सरकार के अधिकारी-कर्मचारी अतिथि-सत्कार के लिए प्रतिबद्धित दिखाई दे रहे हैं, जो सराहनीय है।

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