लौट आए LG, केजरीवाल के चाय-समोसे से लेकर चिकुनगुनिया तक पर कसेंगे नकेल

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राजधानी दिल्ली डेंगू और चिकनगुनिया से तड़पती रही है और आम आदमी पार्टी सरकार के नेता और मंत्री दिल्ली से कहते रहे कि हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक तो दिल्ली के शासक एलजी हैं. फिर दिल्ली को चलाने और संभालने की जिम्मेदारी तो उनकी है. उपराज्यपाल जंग इस बीच अमेरिका की निजी यात्रा पर थे, जहां से वो बुधवार को लौट आए और लौटते ही दिल्ली में संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर चिकुनगुनिया और डेंगू पर सरकार के रिस्पॉन्स पर बैठक ली. बैठक में नजीब जंग ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी हालत में मरीज इलाज के अभाव में दर-दर ना भटकें.

दूसरी तरफ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उपराज्यपाल इस बात की भी जांच करवा सकते हैं कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिनके पास एक भी सरकारी विभाग नहीं है, के दफ्तर में मेहमानों को समोसा-चाय खिलाने का बिल 48 लाख रुपये कैसे आ सकता है. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दफ्तर का बिल जहां 48 लाख रुपये है वहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दफ्तर का बिल तकरीबन साढ़े ग्यारह लाख रुपये है.

आरटीआई से मिली जानकारी
बीजेपी नेता और आरटीआई कार्यकर्ता विवेक गर्ग की एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया कि पूरी सरकार ने पिछले 18 महीने में चाय समोसा पर तकरीबन 1 करोड़ रुपये खर्च किए हैं जो कि दिल्ली जैसा छोटा राज्य होने के मद्देनजर काफी बड़ी रकम है. क्षेत्रफल के मामले में दिल्ली से 164 गुना बड़े और जनसंख्या के मामले में करीब 11 गुना बड़े यूपी में अखिलेश यादव सरकार के मंत्रिमंडल का मेहमाननवाजी का ये खर्च प्रतिवर्ष करीब 2 करोड़ रुपये का है.

केजरीवाल की सरकार है मिलनसार!
इन आंकड़ों से इतना तो साफ है कि दिल्ली सरकार यूपी की अखिलेश सरकार की तुलना में ज्यादा मिलनसार है. अगर ये पैसे वाकई मेहमानों को चाय समोसे खिलाने में खर्च किए गए हैं तो. बहरहाल, सूत्रों के मुताबिक राजभवन की नजर चाय-समोसे के इतने भारी भरकम बिल पर टेढ़ी हो गई है और आने वाले दिनों में इसकी जांच के आदेश दिए जा सकते हैं.

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