‘सत्याग्रह’ की तरह ‘स्वच्छाग्रह’ की जरूरत: मोदी

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नई दिल्ली: स्वच्छ भारत सप्ताह के तहत शुक्रवार को दिल्ली में इंडोसैन कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा नेताओं से जनता आगे निकल चुकी है। पाकिस्तान से उरी हमले का बदला लेने के बाद पीएम मोदी पहली बार जनता को संबोधित किया।

स्वच्छता का भाव पैदा करने की जरुरत
मोदी ने साफ सफाई को जन आंदोलन बनाने पर जोर देते हुए आज कहा कि समाज में स्वच्छता का भाव पैदा करने की जरुरत है। मोदी ने यहां भारत स्वच्छता सम्मेलन (इंडोसन) के उद्घाटन सत्र में कहा कि स्वच्छ भारत अभियान समय से पहले समाज में अपनी जड़े जमा रहा है। बालकों में स्वच्छता के प्रति जागरुकता बढ़ रही है और गंदगी फैलाने से अपने परिजनों को भी रोक रहे हैं। उन्होंने कहा कि घर में शौचालय होना सामाजिक स्तर से जुडता जा रहा है जोकि एक अच्छा संकेत है।

कचरे से धन कमाया जा सकता है
मोदी ने सुझाव दिया कि दूरदर्शन पर स्वच्छता संबंधी समाचार होने चाहिए। इससे लोगों में जागरुकता आएगी और इसका महत्व बढ़ेगा। इसके अलावा राज्य स्तर पर स्वच्छता की प्रतिस्पर्धा आयोजित की जानी चाहिए। इससे स्थानीय निकायों, संस्थाओं और व्यक्तियों में प्रतियोगिता का भाव आएगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छता से रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं। कचरे से धन कमाया जा सकता है। स्थानीय निकायों को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं में क्षमता है और उन्हें इस संबंध में नवाचार करना चाहिए। इससे उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे।

उद्घाटन में कई नेताओं ने लिया हिस्सा
उद्घाटन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह,महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी हिस्सा लिया। बाद में सभी नेताओं ने स्वच्छता घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। इससे पहले मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान करने वाली संस्थाओं, व्यक्तियों और स्थलों को पुरस्कृत किया।

स्वच्छता की बात करना हिम्मत का काम
मोदी ने कहा कि स्वच्छता की बात करना और इसे जनता के बीच ले जाना बहुत हिम्मत का काम है लेकिन आम जनता ने इसे स्वीकार किया है और जागरुकता आ रही है। लोगों ने साफ-सफाई और स्वच्छता के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि दूरदर्शन पर स्वच्छता संबंधी समाचार होने चाहिए। इससे लोगों में जागरुकता आएगी और इसका महत्व बढ़ेगा। इसके अलावा राज्य स्तर पर स्वच्छता की प्रतिस्पर्धा आयोजित की जानी चाहिए। इससे स्थानीय निकायों, संस्थाओं और व्यक्तियों में प्रतियोगिता का भाव आएगा।

स्वच्छता से उत्पन्न हो सकते हैं रोजगार
उन्होंने कहा कि स्वच्छता से रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं। कचरे से धन कमाया जा सकता है। स्थानीय निकायों को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं में क्षमता है और उन्हें इस संबंध में नवाचार करना चाहिए। इससे उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे। नायडू ने स्वच्छता अभियान में योगदान करने वाले और प्रेरित होने वाले लोगों का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’में आम लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए स्थानीय प्रशासन को नयी पहल करनी चाहिए। खुले शौच से मुक्ति का अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। लोगों की भागीदारी बढऩे के साथ-साथ जागरुकता भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि गुजरात और आंध्रप्रदेश तथा केरल के शहरी क्षेत्र जल्दी ही खुले में शौच से मुक्त होंगे।

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