सभी छोटी-बड़ी नदियों के लिए नदी रक्षक वाहिनी बने

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नर्मदा सेवा यात्रा की शुरुआत करने के लिए सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की खुले मन से तारीफ करते हुए इसे मध्य प्रदेश का भविष्य सँवारने की पहल बताया है। मंडला के शहर काजी श्री हसीमुद्दीन कादरी का कहना है कि पानी को पाक-साफ़ रखने और उसकी हिफाजत करने का काम धर्म से बड़ा है। चाहे किसी भी धर्म को मानने वाला हो पानी के बगैर नहीं जी सकता। उनका यह भी कहना है कि नर्मदा साफ हो जाती है और दोनों किनारों पर हरियाली घनी हो जाती है तो यह मध्यप्रदेश पर बड़ा अहसान होगा। वे मानते हैं कि श्री शिवराज सिंह चौहान नर्मदा को बचाने के साथ शराबबंदी के लिये जो कोशिश कर रहे हैं उससे अच्छाई बढ़ेगी। अभी लोग नर्मदा जैसी पाक साफ़ नदी के किनारे जाकर नशा करते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। नर्मदा का पानी सबको मिलता है चाहे वे किनारे रहते हों या दूर। नर्मदा सेवा यात्रा का मकसद बहुत पाक है।

सिख धर्म के पंथी हरजीत सिंह का मानना है कि नर्मदा नदी के किनारे रहने वालों को मिलकर नदी रक्षक वाहिनी बनाना चाहिए। सभी छोटी-बड़ी नदियों के लिए नदी रक्षक वाहिनी बनना चाहिए। नदी के किनारों की चौकसी करना चाहिये। गंदगी होने देने से रोकना ही सबसे बड़ा काम है। वे यह भी कहते हैं कि जब नर्मदा मैया के दर्शन से पुण्य मिलता है तो इसे दर्शन लायक बनाना सबका फर्ज है। इसका शुभारंभ कर मुख्यमंत्री ने अच्छा काम किया है लेकिन बाकी काम हमें पूरा करना होगा।

गीता स्वाध्याय मंदिर अमरकंटक के नर्मदानंद गिरी महाराज का कहना है क़ि मुख्यमंत्री लोगों को समझाने निकले हैं कि नर्मदाजी को गन्दा मत करो। साबुन-सोडा मत डालो। यह जीवन देती है। शराब बंदी के बारे में अपने विचार रखते हुए वे क़हते हैं कि शराब बुरी चीज है इसे पूरी तरह से प्रतिबन्धित करना चाहिए। सिर्फ नर्मदा के किनारों पर ही क्यों पूरे प्रदेश में प्रतिबन्ध लगना चाहिए। वे बताते हैं कि दूसरे प्रदेशों में भी नर्मदा यात्रा की चर्चा हो रही है।

मृत्युंजय आश्रम अमरकंटक के महामंडलेश्वर हरिहरानंद सरस्वती शराब को महामारी मानते हैं। पहले नर्मदा के किनारों पर और फिर पूरे प्रदेश में लागू किया जाना चाहिए। वे कहते हैं क़ि शिवराज जी ने नर्मदा सेवा यात्रा की जिम्मेदारी संतों और समाज को सौंपी है। यह राजनैतिक यात्रा नहीं। यह प्रत्येक वर्ग की यात्रा है। एक बड़ा उद्देश्य है। नर्मदा मैया के प्रति जाग्रत चेतना चिरंतर स्फूर्त बनी रहे। वे कहते हैं क़ि नर्मदा मैया का आध्यात्मिक स्वरूप अविनाशी है लेकिन भौतिक स्वरूप भी पवित्रतम होना चाहिए। यह काम पहले ही हो जाना चाहिए था लेकिन अभी भी जागने का समय है। पर्यावरणीय और आध्यात्मिक चेतना जागृत करने वाली नर्मदा सेवा यात्रा को नर्मदा मिशन के श्री भैया जी सरकार एक अनूठी यात्रा मानते हुए कहते हैं क़ि नर्मदा आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। संतों और सरकार के बीच संवाद की कमी थी वो मुख्यमंत्री की पहल से अब पूरी हो गयी है। आज जब दुनिया प्रकृति से जुड़ रही है, तो नर्मदा की सेवा जैसा अनुष्ठान और ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है। शराबबंदी के सम्बन्ध में वे कहते हैं कि यदि नर्मदा परिक्रमा पथ को आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र बना दें, तो सरकार और समुदाय को ज्यादा आय होगी। नर्मदा का जल उपहार और उपचार दोनों है। इसीलिए नर्मदा सेवकों पर नर्मदा को बचाने की जिम्मेदारी ज्यादा है।

होशंगाबाद के शहर क़ाज़ी श्री अशरफ नर्मदा यात्रा को कुदरत की इबादत कहते हैं । वे साफ़-साफ़ कहते हैं कि नर्मदा के बिना इस प्रदेश के वज़ूद का तसव्वुर भी नहीं कर सकते। प्रदेश की किस्मत बनाना हो तो नर्मदा के वज़ूद को बचाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने बुरा वक्त आने से पहले ही इसे समझ लिया और सबके साथ मिलकर नर्मदा बचाने निकल पड़े। यह कोशिश जरूर कामयाब होगी।

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