सीएम उद्धव ने दिए संकेत, दिवाली के बाद खुलेंगे मंदिर और धार्मिक स्थल

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महाराष्ट्र में जल्द ही मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थल खोले जा सकते हैं. हालांकि मंदिर के अंदर भी मास्क पहनना अनिवार्य होगा. महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे ने इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने कहा है कि हमलोग जल्द ही मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों को खोलने पर विचार कर रहे हैं. बस दिवाली खत्म हो जाने दीजिए. उन्होंने कहा कि मंदिर या धार्मिक स्थलों के बाहर चप्पल, जूते भले ही उतारे जाएंगे लेकिन मास्क हर हाल में पहनना अनिवार्य होगा. क्योंकि अगर एक भी कोरोना मरीज भीड़-भाड़ वाले इलाके में बिना मास्क घूमता है तो वो कम से कम 400 अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है.

अभी दो दिनों पहले ही उद्धव सरकार ने दिवाली के लिए गाइडलाइन जारी की थी. उन्होंने जनता से इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए दिवाली के पर्व को दूसरे त्यौहारों की तरह ही सादगी से मनाने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि कोविड महामारी की वजह से अभी राज्य में मंदिर नहीं खोले जाएंगे. इसलिए जनता, दिवाली के मौके पर घर में ही पूजा करे. इसके साथ ही सार्वजनिक जगहों पर भीड़ न लगाएं, कम से कम बाहर निकलने और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की हिदायत दी गई थी.

इसके साथ ही उन्होंने लोगों से दीपावली के मौके पर कम से कम पटाखे जलाने की अपील की है. हालांकि महाराष्ट्र में पटाखे जलाने पर अभी किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. गाइडलाइन में कहा गया है कि महाराष्ट्र और पूरा देश कोरोना महामारी के संकट से गुजर रहा है. इसलिए पटाखे फोड़कर पर्यावरण दूषित करने के बजाय संरक्षित करने पर ध्यान दें.

कुछ दिनों पहले बंद पड़े धार्मिक स्थलों को दोबारा खुलवाने को लेकर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने लिखा था कि क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भगवान की ओर से कोई चेतावनी मिली है कि वो धार्मिक स्थलों को दोबारा खोले जाने पर टाल मटोल करते रहें.

राज्यपाल ने लिखा कि एक जून से सभी राज्य में धार्मिक स्थलों को खोलने का एलान किया गया था, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है. यह विडंबना है कि सरकार ने एक तरफ बार और रेस्तरां खोल दिया है, लेकिन मंदिर जैसे धार्मिक स्थानों को नहीं खोला गया है. आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं. आपने भगवान राम के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी भक्ति व्यक्त की.

हालांकि इस खत की भाषा को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर सवाल खड़े किए थे.

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