अगर आपका खाता देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में है तो यह आपके लिए बेहद जरूरी खबर है। दरअसल एसबीआई ने एक जुलाई से नियम में बदलाव करने का ऐलान किया है। इस बदलाव का सीधा असर एसबीआई के 42 करोड़ ग्राहकों पर पड़ने वाला है।
एसबीआई ने कहा है कि वह जुलाई महीने से अपने होम लोन की ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़े देगा। बैंक ने शुक्रवार शाम को जारी बयान में कहा, ‘हम 1 जुलाई से रेपो रेट से जुड़े होम लोन ऑफर करेंगे।’ यानी, इस महीने के बाद से एसबीआई का होम लोन की ब्याज दर पूरी तरह रेपो रेट पर आधारित हो जाएगी।
अब यह समझना जरूरी है कि चूंकि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी या एमपीसी) वर्ष में छह बार यानी हर दूसरे महीने नीतिगत ब्याज दरों की समीक्षा करती है जिनमें रेपो रेट भी शामिल है। स्पष्ट है कि अगर हर द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में बदलाव हुआ तो एसबीआई के होम लोन की ब्याज दरें भी उसी के मुताबिक घटेंगी या बढ़ेंगी।
मसलन, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार तीन समीक्षा बैठकों में रेपो रेट में कुल मिलाकर 0.75 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। उसने गुरुवार को लगातार तीसरी बार रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 5.75 पर ला दिया है। आगे ऐसी परिस्थितियों में एसबीआई का होम लोन भी लगातार सस्ता होगा। हालांकि, कई बार रेपो रेट न घटाया जाता है और न ही उसमें कोई वृद्धि की जाती है। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने की स्थिति में एसबीआई होम लोन की ब्याज दरें भी स्थिर रहेंगी।
बहरहाल, एसबीआई अपने अल्पकालिक कर्ज (शॉर्ट टर्म लोन) और बड़ी जमा राशि की ब्याज दरों को पहले ही रेपो रेट से जोड़ चुका है। रेपो रेट पर केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई, वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन के लिए नकदी उधार देता है। रेपो रेट कम होने पर कमर्शल बैंकों के लिए धन सस्ता होता है और वे ब्याज कम करने की स्थिति में होते हैं।
सभी SBI कस्टमर्स को फायदा नहीं
एसबीआई द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक, आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में बदलाव का फायदा ग्राहकों को तुरंत देने के उद्देश्य से सेविंग डिपॉजिट और कम अवधि के कर्ज की ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ने का फैसला एक मई 2019 से लागू होगा। हालांकि इससे एसबीआई के सभी ग्राहकों को फायदा नहीं होगा। नया नियम सिर्फ उन्हीं खातों पर लागू होगा, जिनमें एक लाख रुपए से अधिक राशि हो।