सांची विवि में आयोजित सम्मेलन में देश के 150 से अधिक बौद्ध विद्वान और शोधार्थी हुए शामिल

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रायसेन  – (ईपत्रकार.कॉम) |सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में देशभर के बौद्ध विद्वानों का मेला लगा हुआ है। अखिल भारतीय बौद्ध अध्ययन संघ यानि Indian Society for Buddhist Studies के 17वें सालाना समारोह में देशभर के करीब 150 बौद्ध विद्वानों, शोधार्थी और प्रोफेसर सांची पहुंचे है। उद्घाटन सत्र में सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो संकटा प्रसाद शुक्ला ने कहा कि बुद्ध पहले आदमी थे जिन्होने आत्मा और ब्रह्म में फंसी दुनिया में मनुष्य के दुख, उसके निवारण और कल्याण की बात की। उनके मुताबिक बुद्ध के उपदेशों से आज भी बौद्ध धर्म की प्रांसगिकता बनी हुई है।

विशिष्ट अतिथि प्रो बालमुकुंद पांडे ने कहा कि बुद्ध ने मानव कल्याण का संदेश दिया था और धर्म प्रकट या क्रिया रुप में सत्य है। उन्होने भारतीय संदर्भ में बौद्ध धर्म को पुन् परिभाषित करते हुए इसे एशिया को जोड़ने का सूत्र बनाने की बात की। मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण की अध्यक्ष प्रो सुष्मिता पांडे ने कहा कि मध्य प्रदेश बौद्ध धर्म के विस्तार का प्रमुख केंद्र था। उन्होने सम्यक दृष्टि की बात करते हुए बुद्ध के मौन को परिभाषित किया।

अतिथियों का स्वागत करते हुए सांची विवि के कुलपति प्रो यज्ञनेश्वर शास्त्री ने कहा कि बौद्ध धर्म मौजूदा विश्व समस्याओं को दूर करने का उपयोगी सूत्र बन सकता है। प्रो शास्त्री ने कहा कि भगवान बुद्ध का पंचशील और अष्टांग मार्ग बेहद प्रासंगिक है और अच्छे मन, प्रेम और करुणा के साथ किया गया काम दुनिया में बदलाव का वाहक बनता है और अनुसरणीय है। उद्घाटन सत्र में ISBS ओर से दिल्ली विवि के बौद्ध दर्शन विभाग के प्रमुख प्रो केटीएस सराव को मंजूश्री सम्मान और कमलादेवी जैन सम्मान से नवाजा गया। उद्घाटन सत्र के बाद प्रो केटीएस सराव का विशेष लेक्चर हुआ।

सांची विश्वविद्यालय में 13 से 15 अक्टूबर तक हो रहे इस सम्मेलन में करीब 100 शोधपत्र पढ़े जाएंगे। दोपहर बाद तीन समानांतर सत्र आयोजित हुए। संगोष्ठी के दूसरे दिन 6 समानांतर सत्र होंगे। 15 अक्टूबर को 3 समानांतर सत्र एवं वैलिडेंक्टरी सत्र होगा। इस बार पाली भाषा और साहित्य, बौद्ध संस्कृत भाषा और साहित्य, अपभ्रंष साहित्य में बौद्ध धर्म, मध्य और पूर्व एशियाई देशों की भाषाओं (तिब्बती, चीनी, जापानी, थाई सिंहली) में बुद्धिज्म, भारत और विश्व में बौद्ध धर्म का इतिहास, बौद्ध दर्शन, समसामयिक और व्यवहारिक बौद्ध धर्म, तुलनात्मक बौद्ध धर्म, भारतीय हिमालयीन बुद्धिज्म और बौद्ध पर्यटन जैसे विषय पर गूढ़ एवं गंभीर चर्चा इस संगोष्ठी में होगी।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय दर्शन और प्राचीन भारतीय ज्ञान के पुनरुद्धार और उच्च कोटि के शोध को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है। विवि में देश एवं विदेश के 120 छात्र एवं शोधार्थी, भारतीय दर्शन, बौद्ध दर्शन, योग, आयुर्वेद एवं विभिन्न भाषायी एवं दर्शन पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत है।

सन 2000 में गठित अखिल भारतीय अकादमिक बौद्ध अध्ययन संघ अभी तक 16 बार अखिल भारतीय बौद्ध संघ की बैठक कर चुका है। देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों और रिसर्च संस्थानों में होने वाली इस संगोष्ठी का उद्देश्य उभरते और प्रतिष्ठित बौद्ध विद्वानों के मध्य संवाद और उनके द्वारा अर्जित ज्ञान को अकादमिक स्तर पर उपलब्ध कराना है।

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