H-1B वीजाधारकों के जीवनसाथियों का भी छिन जाएगा अमेरिका में काम करने का हक?

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ट्रंप प्रशासन अमेरिकी अर्थव्यवस्था और प्रवासी श्रमिकों एवं विदेशी कामगारों के भारी-भरकम कार्यबल में बट्टा लगाने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। ट्रंप प्रशासन के शिकार न केवल अवैध प्रवासी, बल्कि वह भी हो रहे हैं जिन्हें अमेरिका में काम करने की कानूनी अनुमति मिली हुई है। पता चला है कि नई सरकार के न्याय विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस) ने वॉशिंगटन डीसी कोर्ट में एक अपील फाइल की है जिसमें उन लोगों के H-4 वीजा 60 दिनों के लिए फ्रीज करने की अनुमति मांगी गई है जिन्हें अमेरिका में रोजगार का कानूनी अधिकार प्रदान है। गौरतलब है कि H-4 वीजा मुख्य रूप से H-1B वीजाधारकों के पतियों या उनकी पत्नियों को मिलते हैं।

हजारों भारतीय इस श्रेणी में आते हैं और उन्हें कठिन लड़ाई के बाद 2015 की फरवरी में यह अनुमति मिली जब ओबामा प्रशासन ने एक नियम जारी कर उन H-1B वीजाधारकों के योग्य पतियों या पत्नियों को रोजगार प्राप्त करने का अधिकार दिया जो अमेरिका का ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे/रही हैं। नियम लागू होने के तुरंत बाद सेव जॉब्स यूएसए नाम के एक समूह ने मुकदमा दायर कर दिया, लेकिन एक जिला अदालत ने कहा कि ओबामा प्रशासन के नियम पर कानूनी विचार करने या इस पर रोक लगाने का कोई तार्किक आधार नहीं है।

इसके बाद सेव जॉब्स यूएसए अपील्स कोर्ट चला गया और ट्रंप प्रशासन के सत्ता संभालते ही प्राथमिकी दर्ज करवा दी। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने भी इसका तुरंत समर्थन कर दिया, जिसने 1 फरवरी, 2017 को ’60 दिनों के लिए कार्यवाही स्थगित करने के लिए सहमति का प्रस्ताव’ नाम से एक दस्तावेज पेश कर दिया। डिपार्टमेंट ने कोर्ट से नए प्रशासन को इस पर विचार करने के लिए पर्याप्त वक्त दिए जाने की अनुमति मांगी।

कुल मिलाकर ट्रंप प्रशासन की मंशा स्पष्ट है। प्रवासी कार्यकर्ताओं के मुताबिक, मौजूदा अटॉर्नी जनरल जेफ सेशन्स ने बतौर अमेरिकी सेनेटर ने H-4 नियम को ‘अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुंचाने वाला कानूनी बदलाव’ कहा था। इमिग्रेशन वॉइस के संस्थापक और अध्यक्ष अमन कपूर ने हजारों H-4 वीजाधारकों की ओर से ‘मामले में दखल देने का प्रस्ताव’ रखा। उनका कहना है, ‘इस केस का कोई तार्किक आधार नहीं होने के जिला अदालत के आदेश पर अपने नेतृत्व के साथ विचार करने को डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के अटॉर्नीज के लिए कुछ नहीं है।’

लोकप्रिय छवि या प्रभाव के उलट H-4 के जरिए रोजगार की अनुमति पाने वाले भारतीय उच्च गुणवत्ता से लैस हैं, जिन्होंने रेवेन्यू और जॉब्स के मामले में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा पहुंचाया है।

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