दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन Google के CEO सुंदर पिचाई और सोशल नेटवर्किंग साइट Facebook के CEO मार्क जुकरबर्ग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शरणार्थियों की अमेरिका में एंट्री सीमित करने वाली नीति की आलोचना की है। दोनों कंपनियों ने प्रतिबंधित किए गए सात मुस्लिम देशों के उन कर्मचारियों का को वापस बुलाने का फैसला किया है जो इनके लिए इन सात देशों में काम कर रहे थे।
गूगल ने अपने कर्मचारियों को दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि इन सात देशों से आने वाले कर्मचारी अभी अमेरिका से बाहर ना जाएं। पिचाई ने कहा कि इस नीति से अमेरिका में आने वाली बाहरी प्रतिभा पर रोक लगेगी। पिचाई ने गूगल कर्मचारियों को लिखे एक ई-मेल में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले से सात मुस्लिम बाहुल्य देशों से आने वाले 187 लोगों का रोजगार प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि इस आदेश के असर को लेकर हम दुखी हैं। गूगल के कर्मचारियों और उनके परिवार पर किसी भी तरह की रोक अमेरिका में अच्छे टैलेंट के आने पर रोक लगाएगा।
फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भी कुछ मुस्लिम बहुल देशों से आने वाले शरणार्थियों की संख्या को सख्ती से कम करने के फैसले के लिए राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना की है। जुकरबर्ग ने कहा कि अमेरिका शरणार्थियों का देश है और उसे इसपर गर्व होना चाहिए। फेसबुक सीईओ जुकरबर्ग ने लिखा कि अगर हमने कुछ दशक पहले शरणार्थियों से मुंह फेर लिया होता तो प्रेसिलिया का परिवार आज यहां नहीं होता। जुकरबर्ग की पत्नी प्रेसिलिया का परिवार चीन और वियतनाम से आए हुए शरणार्थी हैं।
जुकरबर्ग ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि आप जैसे कई लोगों की तरह मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप के उन आदेशों के प्रभावों को लेकर चिंतित हूं जिन पर उन्होंने हाल ही में हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने लिखा कि हमें इस देश को सुरक्षित रखने की जरूरत है, लेकिन हमें ऐसा उन लोगों पर ध्यान देकर करना चाहिए जिनसे वाकई में हमें खतरा है। हमें अपने दरवाजे शरणार्थियों के लिए और ऐसे लोगों के लिए जिन्हें हमारी जरूरत है, खुले रखने चाहिए। यही हमारी पहचान है।