सर्दी में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, बच्चों को बचाने के लिए पिलाएं खूब पानी

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पांच-छह साल के बच्चों की इम्युनिटी बहुत कम होती है। वे प्रदूषित हवा में रहकर सुस्त हो जाते हैं और उनके सिर में दर्द की शिकायत रहती है। अधिक समय तक प्रदूषित स्थान पर रहने से अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

सर्दियों में प्रदूषण का स्तर अधिक हो जाता है। ओस से नम होकर दूषित धूलकण नीचे आते हैं और ये एन्वायर्नमेंट को खतरनाक बनाते हैं। इस सप्ताह जयपुर में की गई अलग-अलग जांच में चौंकाने वाले नतीजे आए हैं। कई स्थानों पर तो हवा में प्रदूषित धूल के कण चार गुना तक बढ़ गए हैं। ऐसे में विशेषज्ञ बच्चों और गर्भवती महिलाओं को अधिक पानी पीने और फल-सब्जियां खाने की सलाह दे रहे हैं।

सर्दी के मौसम में हवा में मौजूद हानिकारक कण नमी के कारण नीचे आ जाते हैं। इसलिए हवा अधिक जहरीली हो जाती है। यह हवा बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक होती है। यह मरीजों के लिए जानलेवा भी हो जाती है।

बच्चे

पांच-छह साल के बच्चों की इम्युनिटी बहुत कम होती है। वे प्रदूषित हवा में रहकर सुस्त हो जाते हैं और उनके सिर में दर्द की शिकायत रहती है। अधिक समय तक प्रदूषित स्थान पर रहने से अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

कैसे बचाएं बच्चों को

बच्चों को समय-समय पर पानी पिलाते रहें। इससे प्रदूषण का असर कम होता है।

सर्दी के मौसम में बच्चों को सुबह न टहलाएं।

प्रदूषण के पीक आवर में बाहर निकलने से बचें।

दो पहिए वाहन पर बच्चों को आगे न बैठाएं।

कार से बाहर ले जाते समय शीशे अवश्य चढ़ा लें।

बुजुर्ग

कमजोर अंग जल्द आते हैं चपेट में

बुजुर्गों के लिए सर्दी़ का मौसम कष्टकारी होता है। ऐसे में प्रदूषित हवा दोहरा वार करती है। सांस की तकलीफ, हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है।

बचाव

सुबह टहलना बंद या कम कर दें।

अगर दवा लेते हैं, तो नियमित लें।

धूप निकलने के बाद ही बाहर या छत पर जाएं।

दो पहिए वाहन या टैक्सी जैसी खुली गाडिय़ों में सफर करने से बचें। बंद गाडिय़ों में ही बाहर निकलें।

प्रदूषण के पीक आवर में बाहर न निकलें और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से दूर रहें।

गर्भवती महिलाएं

गर्भवती के साथ बच्चे को भी खतरा

प्रदूषित हवा गर्भवती महिलाओं के साथ गर्भ में पल रहे बच्चेे के लिए भी खतरनाक है। गर्भवती महिलाओं का अधिकतर पोषक तत्व बच्चों को जाता है। ऐसे में अगर प्रदूषित हवा सांस के साथ गर्भवती महिला के अंदर जाती है, तो वह खून के साथ मिलकर बच्चे तक पहुंचकर नुकसान पहुंचाती है।

बचाव

प्रदूषित क्षेत्र से दूर रहें।

हरी सब्जियां और फलों का सेवन करें, इसमें एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं। इससे प्रदूषण का असर कम होता है।

अधिक से अधिक पानी पीते रहें। इससे टॉक्सिक तत्व पेशाब के रास्ते बाहर निकलते हैं।

डॉक्टरी जांच और सलाह का नियमित पालन करें।

मरीज

फेफड़े के कैंसर का खतरा

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ गया है। वायु प्रदूषण में सल्फर, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, बेंजीन और अन्य जहरीले कण होते हैं, जो फेफड़ों में पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। पिछले वर्षोंं में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) नेचेतावनी जारी कर कहा था कि भारत में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। इससे आने वाले दिनों में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ेगी।

लक्षण

लगातार तेज खांसी आते रहना।

सीने में अचानक से असहाय दर्द होना।

हल्का काम करने या चलने पर सांस उखडऩा।

कम समय में ज्यादा वजन कम होना।

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