इतिहासकार डॉ. शिवनारायण यादव ने कहा स्कूल के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हो भीमा नायक का इतिहास

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बड़वानी  – ईपत्रकार.कॉम |अंग्रेज भीमा नायक को भारत में फांसी नहीं दे पाये, क्योंकि उनको आशंका थी कि ऐसा करने पर अंग्रेजों को बड़ी बगावत का सामना करना पड़ सकता है। भीमा ने जिस बहादुरी से 1857 की क्रांति में ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी वह उन्हें देश के एक बड़े क्रांतिकारी के रूप में पहचाने जाने के लिए पर्याप्त है। न केवल निमाड़ के अपितु पूरे मध्यप्रदेश और भारत के लोग उनके योगदान को जान सके इसके लिए जरूरी है कि स्कूल के पाठ्यपुस्तक में भीमा नायक पर अध्याय सम्मिलित किये जाएं। ये बातें प्रसिद्ध इतिहासकार और भीमा नायक के प्रथम अनुसंधानकर्ता डॉ. शिवनारायण यादव ने एसबीएन पीजी कॉलेज के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा प्रदर्शित किये गये भीमा नायक के इतिहास पटल का अवलोकन करते हुए कहीं। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. सीएल खिची, कॅरियर सेल के कार्यकर्ता और दो सौ से अधिक विद्यार्थी उपस्थित थे।

डॉ. यादव ने कहा कि लंबे समय से कॉलेज में यह कमी थी, जिसे प्राचार्य डॉ. खिची की प्रेरणा से कॅरियर सेल ने दूर किया और भीमा नायक के सारगर्भित इतिहास को विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए प्रदर्शित किया। उन्होंने भीमा नायक के जीवन के कई पहलुओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। डॉ. खिची ने कहा कि मैं निमाड़ क्षेत्र में नया हूं, परंतु जब मैंने भीमा नायक के इतिहास को जाना तो बहुत प्रभावति हूं और यह हमा सभी का सौभाग्य है कि हम उस कॉलेज में पढ़ रहे हैं, जिसका नामकरण ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर हुआ। पीएच.डी. शोधार्थी अंतिम मौर्य और ज्योति जोशी तथा इतिहास के शिक्षक डॉ. मधुसूदन चौबे ने भी विचार व्यक्त किये। ज्ञात हो कि कॉलेज में भीमा नायक के इतिहास को प्रदर्शित करने वाला पटल लगाया गया है, जिसमें संकलित सामग्री डॉ. एसएन यादव, डॉ. पुष्पलता खरे और डॉ. चौबे द्वारा किये गये अनुसंधान पर आधारित है। संचालन प्रीति गुलवानिया ने किया। आभार रितु बर्फा ने व्यक्त किया। आयोजन में सहयोग अंशुल सुलिया, अरविंद बमनके, लखन प्रजापति, पुष्पा धनगर, किरण वर्मा, पवन परिहार, राहुल मालवीया, राधिका शर्मा, रागिनी सोनी, राजेश जाधव, शुभम सेन, आवेश खान, प्रीतम राठौड़ ने किया।

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