रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने (RBI) ने बुधवार को द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती की है। शीर्ष बैंक ने यह कदम कमजोर मुद्रास्फीति और मांग में आई गिरावट को देखते हुए उठाया है। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम कम होने का हवाला देते हुए RBI ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती की है। यह दर 6.25 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दी गई है। जबकि रिवर्स रेपो दर 0.25 प्रतिशत कम कर 5.75 प्रतिशत की गयी। इसका सीधा असर ग्राहकों की ईएमआई पर पड़ सकता है।
अक्तूबर 2016 के बाद यह पहला मौका है जब रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में कटौती की है। आरबीआई ने कहा, “हम कंपनियों के फंसे बड़े कर्ज के समाधान तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने के लिये सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे है। राज्यों द्वारा कृषि ऋण माफ किये जाने से राजकोषीय स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है, सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता खराब हो सकती है और अंतत: मुद्रास्फीति में फिर से वृद्धि का रुख बन सकता है”
बता दें कि उद्योग संगठन एसोचैम ने रविवार को आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती करने का आग्रह किया था। एसोचैम की ओर से जारी बयान के मुताबिक, “एसोचैम ने महंगाई दर के पांच वर्षो के निचले स्तर तक जाने और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट का हवाला देकर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को पत्र लिखा है। दो अगस्त को होने वाली बैठक में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती के लिए कहा गया है।”
इससे पहले सात जून को वित्तीय वर्ष 2017 की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। जून महीने में खुदरा महंगाई दर 1.54 फीसदी के निचले स्तर पर रही है जबकि मई महीने का औद्योगिक उत्पादन आंकड़ा 1.7 फीसदी रहा है।