कर्नाटक में राज्यपाल की नहीं चली, सोमवार तक सदन स्थगित

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कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने शुक्रवार को भी विश्वासमत साबित नहीं किया। इससे पहले राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को बहुमत साबित करने के लिए दोपहर 1.30 बजे और फिर शाम 6 बजे तक की डेडलाइन दी थी। कुमारस्वामी राज्यपाल के खिलाफ फ्लोर टेस्ट के लिए डेडलाइन देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।

विधानसभा में गुरुवार की तरह ही शुक्रवार को भी चर्चा हुई। कुमारस्वामी ने कहा, “मेरे मन में राज्यपाल के लिए सम्मान है, लेकिन उनके दूसरे प्रेम पत्र ने मुझे आहत किया।’ बीएस येदियुरप्पा के निजी सचिव पीए संतोष के साथ निर्दलीय विधायक एच नागेश की फोटो दिखाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ”क्या वाकई उन्हें विधायकों की खरीद-फरोख्त के बारे में 10 दिन पहले ही पता चला? मैं फ्लोर टेस्ट का फैसला स्पीकर पर छोड़ता हूं। मैं दिल्ली द्वारा निर्देशित नहीं हो सकता। मैं स्पीकर से अपील करता हूं कि राज्यपाल की ओर से भेजे गए पत्र से मेरी रक्षा करें।”

कुमारस्वामी ने कहा, ”पहले राज्य में जारी राजनीतिक संकट पर चर्चा होगी। बाद में फ्लोर टेस्ट होगा। राज्य में जब से कांग्रेस-जेडीएस सरकार बनी, इसे गिराने के लिए माहौल बनाया जा रहा है। मुझे पहले दिन से पता था कि सत्ता ज्यादा नहीं चलेगी, देखता हूं भाजपा कितने दिन सरकार चला पाएगी? मुद्दे पर बहस होने दीजिए। आप (भाजपा) अभी भी सरकार बना सकते हैं। कोई जल्दी नहीं है। आप सोमवार या मंगलवार को भी सरकार बना सकते हैं। मैं अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल नहीं करूंगा।”

उधर, येदियुरप्पा ने कहा, ”स्पीकर सर हम आपका आदर करते हैं। राज्यपाल के आखिरी पत्र में कहा गया है कि विश्वास मत आज साबित होना चाहिए। हमारे विधायक देर रात तक शांति से बैठे हैं। इसमें जितना वक्त लगे, हमें देना चाहिए। इससे हम राज्यपाल के आदेश का मान भी रख पाएंगे।”

सोमवार तक जारी रहेगी बहस- सिद्धारमैया
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि बहस अभी पूरी नहीं हुई है और 20 सदस्यों को इसमें हिस्सा लेना है। मुझे लगता है कि यह सोमवार को भी जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने दायर की याचिका
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, इसमें शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के फैसले को चुनौती दी गई। दरअसल, कोर्ट ने 17 जुलाई को कहा था कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनने के लिए बाध्य ना किया जाए। इन विधायकों पर व्हिप लागू नहीं होगी। कांग्रेस कर्नाटक चीफ दिनेश गुंडू राव ने याचिका दायर कर कोर्ट से फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग की है। इसमें कहा गया है कि कोर्ट का आदेश व्हिप जारी करने के पार्टी के अधिकार को प्रभावित करता है।

सदन में ही धरने पर भाजपा विधायक
गुरुवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने पर भाजपा विधायकों ने विरोध स्वरूप सदन में ही धरना दिया। रात विधानसभा के भीतर ही बिताई। इस दौरान वे डिनर और चर्चा करने के बाद सदन में जमीन पर सोए। उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता जी परमेश्वरा ने भाजपा विधायकों के साथ शुक्रवार सुबह नाश्ता किया। उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए धरने पर बैठे विधायकों के लिए खाने और नाश्ते का इंतजाम करना हमारा कर्तव्य है। कुछ साथियों को डायबिटीज है। भाजपा नेता भी हमारे अच्छे दोस्त हैं। यहीं लोकतंत्र की सुंदरता है।

बागी विधायकों पर व्हिप लागू नहीं: सुप्रीम कोर्ट
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने जेडीएस के सभी 37 विधायकों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था। इनमें उनकी पार्टी के तीन बागी विधायक नारायण गौड़ा, गोपालैया और एच विश्वनाथ भी शामिल हैं। जेडीएस ने कहा है कि अगर विधायक गैर-मौजूद रहते हैं या विश्वास मत के खिलाफ वोटिंग करते हैं तो दल बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य ठहराने की कार्रवाई की जाएगी। जबकि, इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि वह पार्टी में हैं और सरकार के पक्ष में वोटिंग करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के 15 बागी विधायकों की याचिका पर बुधवार को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा कि हमें इस मामले में संवैधानिक संतुलन बनाए रखना है। स्पीकर 15 बागी विधायकों के इस्तीफों पर अपने अनुसार विचार करें, वे खुद फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

कांग्रेस के 13 और जेडीएस के 3 विधायकों ने दिया इस्तीफा
उमेश कामतल्ली, बीसी पाटिल, रमेश जारकिहोली, शिवाराम हेब्बर, एच विश्वनाथ, गोपालैया, बी बस्वराज, नारायण गौड़ा, मुनिरत्ना, एसटी सोमाशेखरा, प्रताप गौड़ा पाटिल, मुनिरत्ना और आनंद सिंह इस्तीफा सौंप चुके हैं। वहीं, कांग्रेस के निलंबित विधायक रोशन बेग ने भी इस्तीफा दे दिया। 10 जून को के सुधाकर, एमटीबी नागराज ने इस्तीफा दे दिया था।

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