ग्रामीणों को स्वाईन फ्लू के बारे में जागरूक करना जरूरी–संभागायुक्त

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उज्जैन- (ईपत्रकार.कॉम) |सोमवार को होटल मित्तल एवेन्यू के सभाकक्ष में स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वाईन फ्लू पर कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा स्वाईन फ्लू के लक्षण और इससे बचने के लिये किये जाने वाले उपाय और सावधानियों के बारे में विस्तार से सभी को बताया गया। इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.व्हीके गुप्ता, संभागायुक्त श्री एमबी ओझा, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, पार्षद सुश्री विनीता शर्मा, रोगी कल्याण समिति के सदस्य श्री राजेश बोराना, श्री सुनील जैन, डॉ.प्रदीप व्यास, शहर के प्रायवेट नर्सिंग होम के संचालक, निजी चिकित्सक, अन्य सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी तथा उज्जैन व बाहर से आये कई शासकीय चिकित्सक एवं इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के प्रतिनिधि कार्यशाला में शामिल हुए।

संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वाईन फ्लू का नाम आते ही आमजन में एक दहशत-सी छा जाती है, लेकिन स्वाईन फ्लू से घबराने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि इससे डटकर मुकाबला करने की आवश्यकता है। आमजन को किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न देते हुए ऐसी स्थिति में चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिये। संभागायुक्त ने कहा कि सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से जन-जन को स्वाईन फ्लू से बचाव के बारे में बताया जाना जरूरी है। इसके अलावा ग्रामीण तथा दूर-दराज के क्षेत्रों के निवासियों को स्वाईन फ्लू के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है।

संभागायुक्त ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में तो फिर भी स्वाईन फ्लू के बारे में लोग परिचित हो चुके हैं, परन्तु ग्रामीणजनों में अभी भी स्वाईन फ्लू की जानकारी का अभाव है। स्वाईन फ्लू की रोकथाम के लिये इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना जरूरी है। कुछ सावधानियां बरतने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, पटवारी और राजस्व अमले के माध्यम से इसके बारे में लोगों को बताया जायेगा। निजी क्षेत्र के चिकित्सक भी अपनी ओर से आवश्यक सहयोग प्रदाय करें। केवल प्राथमिक उपचार करने से काफी हद तक स्वाईन फ्लू को नियंत्रित किया जा सकता है।

कार्यशाला की अध्यक्षता महापौर श्रीमती मीना जोनवाल ने की। उन्होंने कहा कि स्वाईन फ्लू से बचाव और इसकी रोकथाम के लिये नगर निगम के माध्यम से हरसंभव सहयोग प्रदाय किया जायेगा। नुक्कड़ नाटक हों और ऐसे इलाके जहां काफी चहल-पहल रहती है, वहां स्वाईन फ्लू से बचाव के पोस्टर लगाये जायेंगे।

इसके पश्चात इन्दौर के एमव्हाय हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.सलिल भार्गव ने पॉवर पाइन्ट प्रजेंटेशन के माध्यम से स्वाईन फ्लू के बारे में सभी को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने स्वाईन फ्लू कैसे होता है, इसके क्या लक्षण हैं और इससे बचने के क्या उपाय हैं, इन सभी के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि स्वाईन फ्लू से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। ये आम खांसी-सर्दी जैसा ही होता है, परन्तु इसे आगे बढ़ने से रोकना बहुत जरूरी है। छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, उम्रदराज लोग और मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति इससे जल्दी प्रभावित होते हैं। स्वाईन फ्लू में तीन स्तर के लक्षण दिखाई देते हैं- प्रथम स्तर प्रारम्भिक स्तर होता है, जिसमें सर्दी, खांसी और हल्का-सा बुखार होता है। अगर उस समय इसका उपचार न किया गया तो फिर यह धीरे-धीरे बढ़ने लगता है तथा निमोनिया जैसे लक्षण रोगी में दिखाई देते हैं। अन्तिम स्तर पर पहुंचने के पश्चात रोगी का शरीर नीला पड़ना, सीने में दर्द, सांस कम चलना और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण होते हैं।

डॉ.भार्गव ने कहा कि छोटी-छोटी सावधानियां बरतने से इस बीमारी से बचा जा सकता है जैसे- खांसते या छींकते समय मुंह पर रूमाल या हाथ रखें, यहां-वहां न थूकें, साबुन से हाथ धोयें और यदि साबुन अथवा सेनिटाइजर न हो तो कम से कम पानी से हाथ धोकर ही खाने-पीने की चीजों को हाथ लगायें। स्वाईन फ्लू का पता लगने पर खून तथा एक्सरे की जांच चिकित्सक से करवानी चाहिये। इसका इलाज हर जगह संभव है। इसकी सबसे कारगर दवाई टेमीफ्लू है।

डॉ.भार्गव ने बताया कि चूंकि स्वाईन फ्लू के लक्षण आम सर्दी-जुकाम जैसे ही होते हैं, इसलिये चिकित्सकों को यह चाहिये कि वे दोनों के फर्क को पहचानें। आम सर्दी, खांसी, बुखार में टेमीफ्लू रोगी को दी जाना उचित नहीं होगा। ऐसे कैसेस में पेरासिटामॉल या अन्य एंटीबायोटिक्स रोगी को दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि स्वाईन फ्लू को रोकने के लिये स्वाईन फ्लू से पीड़ित रोगी को आइसोलेशन वार्ड में रखे जाने की व्यवस्था करनी चाहिये। अस्पताल में आने वाले मरीजों के रिश्तेदारों को भी यह समझना चाहिये कि वे एच-1 एन-1 वायरस के वाहक भी हो सकते हैं, इसीलिये अस्पताल में बेकार या बिना किसी जरूरी काम के न बैठें, इधर-उधर व्यर्थ न टहलें तथा मास्क लगाकर ही पेशेंट से मिलने जायें।

डॉ.भार्गव ने कार्यशाला में जानकारी दी कि स्वाईन फ्लू के वायरस का संक्रमण होने के पश्चात एक से सात दिनों के अन्दर इसके लक्षण प्रकट होना दिखाई देते हैं, इसलिये इसके लक्षण सामने आते ही तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लेकर उपचार आरम्भ करना जरूरी है। स्वाईन फ्लू के वेक्सिनेशन के बारे में जानकारी देते हुए डॉ.भार्गव ने बताया कि इसका वेक्सिनेशन सिर्फ हाईरिस्क ग्रुप के लोग जो मरीजों के सतत सम्पर्क में आते हैं, उन्हें ही लगाया जाना जरूरी है। स्वाईन फ्लू की कार्यशाला का संचालन श्री संदीप नाडकर्णी ने किया और अन्त में आभार डॉ.अनिल दुबे द्वारा व्यक्त किया गया।

स्वाईन फ्लू की रोकथाम के लिये कलेक्टर ने चाक-चौबन्द व्यवस्था के दिये निर्देश
कार्यशाला में उपस्थित कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे ने स्वाईन फ्लू की रोकथाम के लिये जिला स्वास्थ्य विभाग को चाक-चौबन्द व्यवस्था के निर्देश दिये। कलेक्टर ने जिले के सभी शासकीय अस्पतालों में पर्याप्त दवाईयों की उपलब्धता, विशेष वार्डों की उपलब्धता, सभी अस्पतालों में पल्स ऑक्सीमीटर की व्यवस्था, कंट्रोल रूम निर्माण के निर्देश दिये। बताया गया कि जिले के लिये 50 पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध हैं, जो सभी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध करा दिये गये हैं। कलेक्टर ने 20 अतिरिक्त ऑक्सीमीटर क्रय करने के निर्देश दिये। जन-जागृति उत्पन्न करने के लिये कलेक्टर ने स्वाईन फ्लू से बचाव सम्बन्धी पेम्पलेट, बैनर, फ्लेक्स, दीवारों पर नारे अंकित कराने, स्कूलों, पंचायतों, आंगनवाड़ियों में स्वाईन फ्लू के विरूद्ध सावधानियां एवं बचाव व उपचार सम्बन्धी जानकारियां प्रसारित करने, अस्पतालों में मरीजों के विजिटरों की संख्या को नियंत्रित करने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही नगर निगम की कचरा गाड़ियों पर रेडियो जिंगल प्रसारित करवाने तथा मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ बैठक करने के निर्देश भी दिये गये। इस सम्बन्ध में जिले के गांवों में ग्राम स्वास्थ्य सेवा समितियों के फण्ड से भी ग्रामीणों में जन-जागृति हेतु प्रचार-प्रसार के निर्देश कलेक्टर ने दिये। स्वाईन फ्लू से सावधानी सम्बन्धी पेम्पलेट ठेठ नीचे ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने को कहा गया।

डॉक्टर एवं स्टाफ भी सावधानी बरतें
कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के अमले को निर्देश दिये कि स्वाईन फ्लू से स्वयं को भी बचायें। अस्पतालों में डॉक्टरों सहित नर्सेस, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी भी हैण्डफुट ग्लोब्ज तथा मास्क पहनें। अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में मास्क रखवायें। मरीजों में थोड़े-से भी स्वाईन फ्लू के लक्षण दिखें तो तत्काल स्वाईन फ्लू विरोधी टेबलेट अपने सामने ही खिलवा दें। अस्पताल में भर्ती मरीजों को देखने आने वाले परिजनों की संख्या कम से कम की जाये, जिससे संक्रमण बाहर नहीं फैले। इसके साथ ही डायबिटिज पेशेंट, गर्भवती महिलाओं, बच्चों तथा बुजुर्गों के उपचार पर विशेष ध्यान दें। कलेक्टर ने नगर निगम के सफाईकर्मियों को भी फेसमास्क तथा हैण्ड फुट ग्लब्ज उपलब्ध कराने के निर्देश दिये।

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