छोटी शुरूआत ही बड़ा कलाकार बनाती है – राज्यपाल श्री टंडन

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राज्यपाल श्री लाल जी टंडन ने कहा कि छोटी शुरूआत ही बड़ा कलाकार बनाती है। आवश्यकता कला को निरंतर बेहतर करने के प्रयासों की है। उन्होंने कहा कि आजादी का दिन खुशी का दिन है, इसे जश्न के रूप में मनाना चाहिए। इस अवसर पर सांस्कृतिक आयोजनों से पारंपरिक कलाओं को निरंतरता और मज़बूती मिलती है। नई पीढ़ी अपनी गौरवशाली सांस्कृतिक धरोहर से परिचित होती है। हमारे अतीत और इतिहास से जुड़ती है। श्री टंडन आज राजभवन में आयोजित बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। श्री टंडन ने कार्यक्रम में शामिल बच्चों को सम्मानित करने का आयोजन राजभवन में किये जाने के निर्देश दिये। इस अवसर पर बच्चों द्वारा बनाये गये चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि बच्चों में अपार संभावनाएं होती हैं। उसे सामने लाने के अवसरों की उपलब्धता जरूरी है। बच्चों में छुपी प्रतिभा को सामने लाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना जरूरी है। ऐसे प्रयास बच्चों को उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि आज के प्रख्यात कलाकारों ने भी छोटे स्तर से ही अपनी शुरूआत की थी किन्तु आज उनकी कलाकृतियाँ अमूल्य मानी जाती हैं।

श्री टंडन ने कहा कि राजभवन द्वारा बच्चों को उनकी प्रतिभा निखारने का अवसर देने का प्रयास सांस्कृतिक संध्या के आयोजन का आधार है। इस आयोजन में ऐसे बच्चों को अपनी कला के प्रदर्शन का अवसर प्रदान करने का प्रयास किया गया है, जिन्हें अभी तक अपनी कला को सामने लाने का अवसर नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में बच्चों द्वारा बनाई गई पेंटिंग में भविष्य के उत्कृष्ट कलाकार के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने बच्चों को निरंतर अभ्यास द्वारा अपनी कला को निखारने के लिए प्रेरित किया और शुभकामनाएं दीं।

इस आयोजन में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में 130 बच्चों ने भाग लिया। इनमें से 95 बच्चों ने पहली बार मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन किया है। सांस्कृतिक संध्या का प्रारंभ सरस्वती वंदना नृत्य प्रस्तुति से हुआ। अनेकता में एकता के संदेश की भव्य सामूहिक प्रस्तुति 25 बच्चों द्वारा दी गई, जिसे सभी दर्शकों ने खूब सराहा। रंगीलो मारो ढोलना की रंगारंग प्रस्तुति 5 बच्चों द्वारा संयुक्त रूप में दी गई। गीत-संगीत की रस भरी प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नृत्य प्रस्तुतियों के इस क्रम में लोक नृत्य कालबेलिया एवं तेरह तालिका मिश्रण की नृत्य प्रस्तुति में 17 बच्चों के नृत्य ने अद्भुत समां बांध दिया। बच्चों द्वारा दी गई ‘कौम की खादिम है जागीर वंदे मातरम’ गीत की प्रस्तुति कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रही। इसी तरह ‘सुमन अर्पित आजादी के’ और ‘कश्मीर न देंगे’ जैसे गीतों की प्रस्तुति ने सभागार को वीर-रस में सराबोर कर दिया। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण महात्मा गांधी की 150वीं जन्मशती के अवसर पर गांधी जी के जीवन पर आधारित बच्चों द्वारा दी गई नाट्य प्रस्तुति रही। बच्चों के अभिनय और संवाद कौशल ने सभी दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।

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