डिप्रेशन को हल्के में ना लें , हो सकता है जानलेवा

0

ई लोगों में पाया गया है कि वो डिप्रेशन के शिकार होते हैं इसके बावजूद उन्हें इस बारे में काफी देर से पता चलता है लेकिन तब तक काफी देर हो जाती है. डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है जिसमे उदासी,थकावट, अरुचि, नींद, भूख की कमी से लेकर निराशावादी विचार,आत्मग्लानि एवं आत्महत्या के ख्याल तक आते हैं।इसमें मनुष्य के निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है, वह परिवार और समाज से अलग रहने लगता है।

आम तौर पर लोग डिप्रेशन को एक बीमारी के तौर पर नहीं देखते हैं लेकिन अगर सही तरह से देखें तो यह किसी बीमारी से काफी घातक साबित हो सकता है. अक्सर लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि कब वो डिप्रेशन के शिकार हो गए हैं, और बाद में काफी देर हो चुकी होती है.

विश्व स्वस्थ्य संगठन के मुताबिक पूरे विश्व में 35 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। भारत के लगभग 15% लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं जो भारत की आबादी के हिसाब से लगभग 6 से 7 करोड़ हुआ। इस बीमारी से हो रहे नुक्सान और गंभीरता को देखते हुए डब्लू.एच.ओ ने इस वर्ष की विश्व स्वास्थ्य दिवस ,7 अप्रैल, को इस बीमारी की जागरूकता के लिए समर्पित किया है।

यह बीमारी औरतों, वृद्धों, निम्नआये वालों एवं एकाकी जीवन जीने वालों में ज़्यादा पायी जाती है। बच्चों में भी अब यह बीमारी बढ़ रही है। भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं लेने वाले लगभग 40% मरीजों में यह बीमारी देखी गयी है।

जीवनशैली में बदलाव, व्यायाम न करना, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, रिश्तों की प्रगाढ़ता में आयी कमी से उपजेतना के कारण यह बीमारी लगातार बढ़ रही है। ज्यादातर लोग इस बीमारी का इलाज नहीं करा रहे हैं जिस की मूल वजह या तो जागरूकता की कमी या गलत जानकारी होना है। समय पर सोने, खाने, प्रतिदिन व्यायम, ध्यान करने, अपनी रूचि के कामों में मन लगाने, मित्रों एवं परिवार को समय देने और नशा ना करके इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

Previous articleपाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री चुने गए शाहिद खाकान अब्‍बासी
Next articleदिल का दर्द ज़बाँ पे लाना मुश्किल है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here