दो साल में बीएड न कर पाए तो आठ लाख की नौकरी जाएगी

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केंद्र सरकार ने देश के सरकारी और निजी स्कूलों के करीब आठ लाख शिक्षकों को बीएड की योग्यता हासिल करने का आखिरी मौका दिया है। सरकार ने कहा है कि 31 मार्च 2019 तक बीएड की डिग्री हासिल नहीं कर पाने वाले शिक्षकों की नौकरी चली जाएगी। इससे जुड़े एक महत्वपूर्ण विधेयक को शुक्रवार को लोकसभा ने चर्चा के बाद पारित कर दिया।

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में यह बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि इस समय निजी स्कूलों में करीब साढ़े पांच लाख और सरकारी स्कूलों में ढाई लाख शिक्षक जरूरी न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं। गैर प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा छात्रों को पढ़ाया जाना बहुत नुकसानदायक है। ऐसे में 2019 तक सभी कार्यरत शिक्षकों को अनिवार्य न्यूनतम योग्यता हासिल करनी होगी वरना उनकी नौकरी चली जाएगी।

लोकसभा ने चर्चा के बाद नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2017 पारित कर दिया। 1 अप्रैल 2010 में शिक्षा का अधिकार लागू करते समय प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी को देखते हुए पांच वर्षो के लिए अप्रशिक्षित अध्यापक रखने की इजाजत दी गई थी। इन अध्यापकों को पांच वर्ष यानी 31 मार्च 2015 तक प्रशिक्षण लेना था। इस बिल को अभी राज्यसभा से पारित होना है। इस सत्र में लोकसभा में पारित यह दूसरा बिल है।

ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेंगे
जावड़ेकर ने कहा कि अप्रशिक्षित शिक्षक अगस्त के अंत तक ‘स्वयं’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। उन्हें ऑनलाइन पाठ्य सामग्री मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि दूरदर्शन के 32 डीटीएच चैनलों पर 400 से अधिक कोर्स से जुड़े कार्यक्रम चल रहे हैं। ये कार्यक्रम आठ भाषाओं में हैं। पाठ्यक्रम पूरा करने वाले शिक्षकों को मुक्त विश्वविद्यालय के जरिए डिग्री मिलेगी। पेशेवर कोर्स करने के बाद वे अपने पद पर कार्य कर सकेंगे।

ऑनलाइन रिकॉर्ड रखा जाएगा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले इन अप्रशिक्षित अध्यापकों का ट्रैक रिकॉर्ड भी रखा जाएगा। किस अध्यापक ने कितनी पढ़ाई की है, डीटीएच पर पाठ्यक्रम से जुड़े कितने कार्यक्रम देखे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई करने के बाद परीक्षा से पहले इन सभी अध्यापकों को जिलास्तर पर दो सप्ताह का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि, इनकी गुणवत्ता को और सुधारा जा सके। इसके बाद शिक्षकों की परीक्षा होगी।

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