सिडनी: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि भारत सरकार ने पिछली सरकार से विरासत में मिले कराधान से जुड़े कई मामले सुलझा लिए हैं और वह धीरे-धीरे कार्पोरेट कर 25 प्रतिशत के वैश्विक स्तर पर ला रही है जो फिलहाल 30 प्रतिशत है। यहां एसपी जैन इंस्टीच्यूट आफ ग्लोबल मैनेजमेंट में आयोजित एक व्याख्यान में भरोसा जताया कि लंबे समय से अटके वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को संसद में जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी।
मंत्री ने कहा कि भारत ने वैश्विक स्तर पर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और सरकार की कोशिश होगी कि कारोबार सुगमता से और बढ़ाए और अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करें और घरेलू निवेशकों को विदेश जाने से रोकें। उन्होंने कहा, ‘‘एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है भारत की कराधान प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना। इसलिए हम अब प्रत्यक्ष कर प्रणाली पर काम कर रहे हैं जिसके तहत हम विवाद खत्म करना चाहते हैं।’’
जेतली ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि लोग अपने कर विवाद निपटाएं। इसलिए इस बजट में मैंने लंबित मामलों को निपटाने के लिए विभिन्न किस्म की व्यवस्थाओं का भी प्रस्ताव किया है।’’ जेतली ने कहा कि सरकार भारत में कार्पोरेट कर की दर धीरे-धीरे उचित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने की दिशा में काम कर रही है जिसके तहत कोई विशेषाधिकार नहीं होगा और न किसी तरह की अतिरिक्त छूट। धीरे-धीरे इन सबको खत्म कर 25 प्रतिशत के कार्पोरेट कर के स्तर पर लाना है।
बजट 2016-17 ने विवाद निपटान व्यवस्था प्रदान की है जिसके तहत कर मांग का सामना कर रही कम्पनियां जो विभिन्न चरणों में अटकी हुई हैं, वे मूल तथा ब्याज या जुर्माना अदा कर इन्हें विराम दे सकती हैं। जहां तक पिछली तारीख से संशोधन के आधार पर कर मांग का सामना कर रही कम्पनियों का सवाल है तो बजट में एक योजना का प्रावधान किया गया है जिसके तहत ब्याज और जुर्माने को माफ किया जा सकता है और कम्पनियां सिर्फ मूल कर मांग अदा कर विवाद निपटा सकती हैं।
वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) पर जेतली ने कहा कि भारत के लिए यह समान कर व्यवस्था संसद में लंबित है जिसके तहत देश को एक बड़े बाजार में परिणत किया जा सकता है और वस्तु एवं सेवाओं का हस्तांतरण इस पूरे विशाल बाजार में किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पक्का भरोसा है कि हम धीरे-धीरे एेसी स्थिति की आेर बढ़ रहे हैं जिसमें हम जल्द से जल्द इसे संसद में पारित कर सकें।’’ अप्रत्यक्ष कर सुधार से जुड़ा जी.एस.टी. विधेयक राज्यसभा में अटका है जहां सत्ताधारी राजग का बहुमत नहीं है। कांग्रेस विधेयक में 3 बदलाव की मांग कर रही है जिनमें जी.एस.टी. दर पर संवैधानिक सीमा तय करना शामिल है।