बुलियन डीलरों का आरोप, GST से बढ़ा सोने का अवैध कारोबार

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पिछले साल 1 जुलाई से गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (वस्तु एवं सेवा कर) के लागू होने के बाद गोल्ड का अवैध कारोबार काफी बढ़ गया है। बुलियन डीलरों और जूलरों का दावा है कि इससे उनके बिजनस को चोट पहुंची है। उनका कहना है कि जीएसटी के लागू होने के बाद सरकार ने बिक्री के अलग-अलग पॉइंट्स की जांच रोक दी। संगठित क्षेत्र को उम्मीद थी कि जीएसटी के लागू होने से अवैध कारोबार रुकेगा और टैक्स वसूली में वृद्धि होगी। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं है।

बुलियन डीलरों और जूलरों का कहना है कि दक्षिण भारत में सोने के अवैध कारोबार की समस्या कहीं अधिक है, जो देश में इसका सबसे बड़ा मार्केट भी है। इस बारे में केरल के मालाबार गोल्ड ऐंड डायमंड्स के चेयरमैन अहमद एमपी ने कहा, ‘जीएसटी के लागू होने के बाद से गोल्ड में अवैध कारोबार बढ़ा है। उसकी वजह यह है कि सरकार बिक्री के अलग-अलग पॉइंट्स पर टैक्स चोरी की जांच नहीं कर रही है। पहले इस तरह की जांच होती थी, जिससे इलीगल ट्रेड काफी कम था।’ गोल्ड पर 3 प्रतिशत जीएसटी और 10 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगती है।

अहमद ने कहा कि केरल और तमिलनाडु गोल्ड में अवैध कारोबार के केंद्र बन गए हैं। हालांकि, यह ट्रेड सिर्फ दक्षिण भारत तक ही सीमित नहीं है। इंडिया बुलियन ऐंड जूलर्स के सेक्रटरी सुरेंद्र मेहता ने बताया, ‘पड़ोसी देशों से अवैध सोना देश में आ रहा है, जिससे इंडस्ट्री को काफी परेशानी हो रही है।’ उन्होंने कहा कि अवैध सोना कम कीमत पर बिकता है, जिससे मार्केट सही तरीके से फंक्शन नहीं कर पाता।

देश में सालाना 800-850 टन गोल्ड की मांग रहती है। इसमें दक्षिण भारत का योगदान 40 प्रतिशत है। इसके बाद पश्चिमी भारत में 25 प्रतिशत, उत्तर भारत में 20 प्रतिशत और पूर्वी भारत में 15 प्रतिशत गोल्ड की बिक्री होती है। अहमद ने दावा किया कि अवैध कारोबारी बिना टैक्स चुकाए राज्यों में गोल्ड की स्मगलिंग कर रहे हैं। उसके बाद वे इस गोल्ड को जेवरात में बदलते हैं और डायरेक्ट सेलिंग एजेंट्स के जरिये लोगों को बेचते हैं।

उन्होंने कहा, ‘जीएसटी सिस्टम में इंस्पेक्शन के लिए एक बड़ा ग्रे एरिया छोड़ दिया गया है। यह पता नहीं है कि जांच का अधिकार किसे दिया गया है और किस तरह से जांच की जाएगी। इस वजह से गोल्ड ट्रेड की प्रभावी देखरेख एवं पड़ताल नहीं हो पा रही है। अवैध कारोबार करने वाले इसका फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने टैक्स से बचने के नई तरीके ईजाद किए हैं।’ अहमद ने कहा कि कम कीमत की वजह से संगठित क्षेत्र का बिजनस असंगठित क्षेत्र की तरफ शिफ्ट हो रहा है।

भीमा जूलर्स के चेयरमैन और ऑल केरला गोल्ड ऐंड सिल्वर मर्चेंट्स असोसिएशन के बी गोविंदन ने कहा, ‘जांच व्यवस्थित तरीके से नहीं हो रही है। हमारी सूचना के मुताबिक, केरल में 3,000-4,000 जूलरी मैन्युफैक्चरर्स हैं, लेकिन इनमें से 40 ही जीएसटी के दायरे में आए हैं। 19 जून को केरल के वित्त मंत्री टी एम थॉमस से मुलाकात करके हमने इस मामले पर बातचीत की थी। उन्होंने जरूरी कदम उठाने का वादा किया है।’

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