नई दिल्ली. समाजवादी पार्टी के दोनों गुटों की लड़ाई के बीच मुलायम सिंह ने कहा कि वे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं। अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री हैं और अभी भी शिवपाल यादव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। रविवार को उन्होंने कहा कि रामगोपाल यादव ने जो अधिवेशन बुलाया वह फर्जी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, रामगोपाल को ऐसा करने का कोई अधिकार ही नहीं है। वे पार्टी से बर्खास्त थे। मुलायम की प्रेस कॉन्फ्रेंस से नया भ्रम बन गया है। राजनीतिक गलियारे में नेताजी के इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
अधिवेशन में अखिलेश को बनाया गया था पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष
टिकट बंटवारे को लेकर ताजे विवाद के बाद अखिलेश ने बगावती तेवर दिखाए। उनके गुट की ओर से रामगोपाल यादव ने लखनऊ में पार्टी का अधिवेशन किया। जिसमें मुलायम की जगह अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। जबकि शिवपाल को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के साथअमर सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया गया।
मुलायम ने कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारी का दिया निर्देश
इससे पहले दिल्ली में हुई एक मीटिंग में मुलायम ने पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारियों में लग जाने का निर्देश दिया।सूत्रों के मुताबिक़ मुलायम ने यह माना कि फिलहाल पार्टी पर दावे को लेकर अखिलेश यादव के मुकाबले उनके पक्ष में संख्याबल नहीं है।
तो समाजवादी पार्टी का सिम्बल हो सकता है फ्रीज
इससे पहले पार्टी सिम्बल साइकिल पर दावेदारी के बीच यह खबर है कि उसे चुनाव आयोग फ्रीज भी कर सकता है। दावों को लेकर चुनाव आयोग अगर 17 जनवरी तक कोई फैसला नहीं कर पाएगा तो विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल फ्रीज किया जा सकता है। ऐसा हुआ तो दोनों गुटों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह पर यूपी का विधानसभा चुनाव लड़ना पड़ सकता है।
इससे पहले आयोग ने पार्टी के दोनों गुटों से डेलिगेट्स, सांसद, विधायकों के शपथपत्र प्रस्तुत करने को कहा था। इसके लिए 9 जनवरी की समयसीमा तय की गई थी। इस बीच शनिवार को अखिलेश गुट ने पहले ही शपथपत्र आयोग को सौंप दिए हैं। माना जा रहा है कि सोमवार को मुलायम भी पार्टी शपथपत्र सौंपेंगे। वे दिल्ली में हैं।
आयोग कैसे लेगा सिम्बल देने का फैसला
जिस गुट के पास 50 प्रतिशत से ज्यादा समर्थन होगा, आयोग का फैसला उसके पक्ष में जाएगा। सिम्बल पाने के लिए किसी भी गुट के पक्ष में 50 प्रतिशत से ज्यादा सांसद, विधायक और पार्टी डेलिगेट्स का समर्थन पाना होगा। आयोग दोनों धडों डरा दिए शपथपत्र की जांच के बाद 17 जनवरी तक इसके आवंटन का फैसला लेगा। यदि कोई फैसला नहीं हो पाया तो आयोग एक अंतरिम आदेश के तहत दोनों गुटों को नया पार्टी नाम और सिम्बल दे सकता है।
अमर सिंह ने अखिलेश गुट के शपथ पत्रों पर उठाए संदेह
अखिलेश यादव द्वारा आयोग को दिए शपथपत्र पर मुलायम अमर सिंह ने संदेह जताकर नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा, रामगोपाल ने जो डॉक्युमेंट आयोग को सौंपे हैं, उनमें विधायकों और डेलिगेट्स के हस्ताक्षर जाली है।