मैं तो अपना मुकद्दर खुद बनाता हूँ

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मुसीबत के साये में मैं हँसता-हँसाता हूँ,

ग़मों से उलझ कर भी मैं मुस्कराता हूँ,

हाथों में मुकद्दर की लकीरें है नहीं लेकिन,

मैं तो अपना मुकद्दर खुद बनाता हूँ।

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