लखनऊ. सहारा प्रमुख सुब्रत राय ने सु्प्रीम कोर्ट के समक्ष सेबी को 300 करोड़ रुपए अतिरिक भुगतान की पेशकश की। उन्होंने कहा कि इस राशि को बैंक गारंटी के रूप में समायोजित किया जाएगा। वही जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया है कि इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल सहारा प्रमुख की तरफ से उच्चतम न्यायालय में पेश हुये थे और उन्होंने इस मुद्दे को पीठ के समक्ष रखा। सिब्बल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, ‘मैं 300 करोड़ रुपये अतिरिक्त भुगतान करने के लिये तैयार हूं, लेकिन इस राशि को बैंक गारंटी के तौर पर समायोजित किया जाना चाहिये।’ पीठ में मुख्य न्यायधीश के अलावा न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड भी शामिल हैं।
माता के देहांत होने पर पैरोल पर रिहा हुए थे राय
गौरतलब है कि सहारा प्रमुख राय को उनकी माता का देहांत होने पर मानवीय आधार पर जेल से पैरोल पर रिहा किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने 3 अगस्त को राय की पैरोल अवधि को 16 सितंबर तक बढ़ा दिया था। हालांकि, इसके लिए यह शर्त रखी गई थी कि उन्हें सेबी के पास 300 करोड़ रुपये जमा कराने होंगे। राय ने जब 300.68 करोड़ रुपये जमा करा दिये तो अदालत ने उनकी पैरोल अवधि आगे बढ़ा दी। अदालत ने मामले में जमानत के लिये उन्हें शेष राशि जुटाने का अवसर दिया।
5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जुटाने के वास्ते संपत्तियां बेचने की दी अनुमति
उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख को जमानत पर छुड़ाने के लिये समूह को 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जुटाने के वास्ते संपत्तियां बेचने की अनुमति दी है। सहारा समूह को राय की जमानत के लिये 5,000 करोड़ रुपये जमा कराने के अलावा 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देनी है। रॉय की अंतरिम जमानत के लिये अदालत ने कड़ी शर्तें रखी हैं। 5,000 करोड़ रुपये नकद जमा कराने और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी के अलावा निवेशकों को ब्याज सहित उनकी समूची राशि 36,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया है।
गौरतलब है कि राय को पैरोल पर रिहा करते हुये न्यायालय ने कहा था कि वह सहारा संपत्तियों के संभावित खरीदारों से मिलने के लिये पुलिस सुरक्षा में देश के भीतर कहीं भी जाने के लिये आजाद हैं। शीर्ष अदालत ने इससे पहले सेबी को सहारा समूह की उन संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरु करने को कहा था जो किसी भी तरह की देनदारी से मुक्त हैं और जिनके मालिकाना हक के दस्तावेज नियामक के पास हैं। यह राशि सहारा प्रमुख की जमानत के लिये होगी।