अनुभवी क्रिकेट प्रशासक आईएस बिंद्रा ने कहा कि बीसीसीआई के आला अधिकारियों ने स्थिति को जिस तरह बिगाड़ा है उससे उनकी नींद उड़ गई है और उन्हें इस तथ्य को मानने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है कि जल्द ही बोर्ड का संचालन उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों का पैनल करेगा। बिंद्रा ने कहा, ‘मुझे स्वीकार करना होगा कि क्रिकेट प्रशासकों ने जिस तरह से स्थिति को बिगाड़ा है उससे मेरी नींद उड़ गई है। मुझे इस तथ्य को स्वीकार करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों का पैनल जल्द ही भारतीय क्रिकेट बोर्ड का संचालन करेगा।’
भारतीय क्रिकेट जब अपने अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है तब बिंद्रा ने सिर्फ मूकदर्शक बनकर बैठे रहने से इनकार कर दिया। बिंद्रा ने बयान जारी करके कहा, ‘मैं तैयार हूं और खेल की बेहतरी के लिए आगामी दिनों में कुछ और विचार दूंगा।’ इस संकट की शुरुआत 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग विवाद के साथ हुई थी। बिंद्रा ने कहा कि उस समय बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य दिया जाना चाहिए था जिससे कि उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन से जुड़े मामले की निष्पक्ष जांच हो और खेल में जनता का भरोसा दोबारा कायम हो।
बिंद्रा ने कहा, ‘मैंने श्रीनिवासन से बोर्ड के संचालन से पूरी तरह से हटने, चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स प्रत्येक पर 20 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने और अपने दामाद को क्रिकेट से जुड़ी गतिविधियों से प्रतिबंधित करने को कहा था। श्रीनिवासन ने मेरा उपहास उड़ाया और ऐसा बर्ताव किया जैसे वह अदालत से बड़ा है और किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है।’ बोर्ड ने हाल में उस समय खुद को मुश्किल में डाल दिया था जब उसने न्यायमूर्ति लोढा समिति के कुछ अहम सुधारवादी कदमों को लागू नहीं किया था।
बिंद्रा ने कहा, ‘इन्हें एक साल पहले सामने रखा गया था और इन्हें लचीलेपन के साथ लागू करने की जगह बोर्ड ने एक बार फिर अड़चन पैदा करने वाला रूख अपनाकर गलती की। बोर्ड की गलतियां बढ़ती गई और वह आत्मघाती रूख पर आ गया।’ बिंद्रा ने कहा कि कुछ प्रशासकों ने क्रिकेट को अपनी निजी जागीर समझ लिया था। इस पूर्व प्रशासक ने कहा कि इससे निपटने के लिए बीसीसीआई से बाहर किए गए प्रशासकों की हाल में बैठक हुई जो उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल के काम में रोड़ा डालने के लिए किया गया। बिंद्रा ने कहा, ‘मोहिंदर पांडोव, जिसने पंजाब क्रिकेट संघ में मेरे नेतृत्व में काम किया, पूर्व क्रिकेटर के रूप में मेरी पसंद होंगे। मैं सौरव गांगुली को चुन सकता था लेकिन वह राज्य संघ के अध्यक्ष हैं। राहुल द्रविड़ का नाम भी मेरे दिमाग में आया लेकिन उन्हें प्रशासन का अनुभव नहीं है।’