कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बीच इसी हफ्ते रमजान शुरू होने जा रहा है. इस महीने में मुस्लिम समाज के लोग रोज़ा रखते हैं और साथ ही बाकी नमाजों के साथ रात में एक विशेष नमाज़ (तरावीह) भी पढ़ते हैं. सरकार ने कहा है कि लॉकडाउन के चलते किसी भी धार्मिक आयोजन या गतिविधि की इजाजत नहीं है. ऐसे में मुस्लिम धर्मगुरुओं की तरफ से भी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए सभी लोगों से पहले की तरह ही रमजान में भी घर पर रहकर ही इबादत करने की अपील की जा रही है.
जमीयत उलमा-ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुस्लिम कोरोना महामारी से बचाव के लिए सभी स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करते हुए रमजान के पाक दिनों में राष्ट्र की खुशहाली और स्वस्थ राष्ट्र के लिये दुआ करें. मौलाना मदनी ने कहा कि रमजान के दौरान नमाज-ए-तरावीह की पाबंदी करें और सभी लोग अपने-अपने घरों में ही नमाज पढ़ें.
जमीयत के प्रेस सचिव फज़लुर्रहमान कासमी की तरफ से जारी मौलाना के बयान में कहा गया कि तरावीह की नमाज सुन्नत है यानी ये नमाज हर दिन होने वाली पांच वक्त की फर्ज नमाज से इसका दर्जा कम है. ऐसे में घरों में ही नमाज पढ़ें और सरकार के आदेश का पालन करें. मौलाना मदनी ने कहा कि मस्जिदों में सिर्फ इमाम सहित चार लोग नमाज अदा करें और बाकी तमाम लोग घरों में रहकर नमाज पढ़ें और इस महामारी से बचाव के लिये दुआ करें.
देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ चीजों के लिये 20 अप्रैल से कुछ छूट भी दी हैं, लेकिन इसमें धार्मिक स्थलों पर जुटने या धार्मिक आयोजनों की परमिशन नहीं है. लिहाजा, रमजान के मद्देनजर सभी मुस्लिम धर्मगुरुओं से भी मुस्लिम समाज तक ये संदेश पहुंचाने को कहा गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रविवार को जिलाधिकारियों से मीटिंग में ये मुद्दा उठाते हुये धर्मगुरुओं से बात करने और व्यवस्था बनाये रखने की बात कही है. बता दें कि इस वक्त भी देशभर में तमाम मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुुरुद्वारा बंद हैं.