लोकसभा में बोले अमित शाह-कश्मीर के लोग हमारे हैं, हम उन्हें सीने से लगाएंगे

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अनुच्छेद 370 पर लोकसभा में मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कश्मीर के लोग हमारे हैं, हम उन्हें सीने से लगाएंगे. कांग्रेस, एनसीपी और अन्य पार्टियां लगातार अनुच्छेद 370 का विरोध कर रही हैं, जिसके बाद गृह मंत्री ने कहा कि घाटी ने लंबे समय से दर्द सहा है. हिंसा में 41500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. अमित शाह ने एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के सवाल के जवाब में कहा, जम्मू-कश्मीर में साल 1989-95 तक आतंकवाद इतना बढ़ा कि सालों तक कश्मीर में कर्फ्यू रखना पड़ा था. हमने स्थिति न बिगड़े इसके लिए इंतजाम किए हैं. सरकार पहले से तैयार है और उससे नहीं रोका जा सकता. वहां से सुरक्षाबल नहीं हटेंगे और न हम दबाव में आएंगे.

अमित शाह ने कहा कि 70 साल तक चर्चा चल रही है. तीन पीढ़िया आ गईं, जो पाकिस्तान से प्रेरणा लेते हैं उनसे चर्चा करें. हम हुर्रियत से चर्चा नहीं करना चाहते, अगर घाटी के लोगों में कोई शंका है तो हम उन्हें सीने से लगाएंगे और चर्चा भी करेंगे. अगर 100 बार चर्चा करने की बात आई तो हम 110 बार करेंगे. पीएम नरेंद्र मोदी का दिल बड़ा है.

अमित शाह ने कहा कि सदस्यों के मन के भाव को समझ रहा हूं क्योंकि सब लोग 70 साल से एक दर्द को दबाकर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन किसी अन्य राज्य को नहीं बोलते, उसकी वजह 370 है क्योंकि इसी ने जनमानस के मन में शंका पैदा की थी, कश्मीर भारत का अंग है या नहीं. धारा 370 कश्मीर को भारत से जोड़ती नहीं बल्कि जोड़ने से रोकती है, जो आज सदन के आदेश के बाद खत्म हो जाएगी.

अमित शाह ने कहा कि एक बार देश के प्रधानमंत्री की दृढ़ राजनीति को नमन करना चाहता हूं क्योंकि उन्होंने साहस दिखाकर इसे खत्म करने का फैसला लिया. गृह मंत्री ने कहा कि उचित समय और हालात सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं है. मोदी सरकार PoK को कभी देने वाली नहीं है और वहां की 24 सीटें आज भी हमारा हिस्सा रहने वाली हैं. इस पर हमारा दावा उतना ही मजबूत है जितना पहले था.

अमित शाह ने कश्मीर मुद्दा UN में होने के अधीर रंजन के सवाल पर जवाब देना चाह, जिसपर फिर से चौधरी ने खड़े होकर गृह मंत्री से स्थिति साफ करने को कहा. अमित शाह ने कहा कि कश्मीर मुद्दा 1948 में UN में पहुंचा था. लेकिन जब भारत-पाकिस्तान ने UN को प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया तब किसी भी देश की सेना को सीमाओं के उल्लंघन का अधिकार नहीं था. लेकिन 1965 में पाकिस्तान की ओर से सीमा का उल्लंघन करने पर यह प्रस्ताव खारिज हो गया था. जम्मू कश्मीर के लिए इस सदन को संपूर्ण अधिकार हासिल हैं कोई भी बाध्यता नहीं है.

अमित शाह ने मनीष तिवारी से सवाल करते हुए कहा कि जब हमारी सेना कश्मीर में विजयी हो रही थी और पाकिस्तानी कबीलाइयों को भगाया जा रहा था तब अचानक शस्त्र विराम किसने किया, वो भी नेहरू जी ने किया और उसी के कारण आज PoK है, अगर सेनाओं को उस वक्त छूट दी होती तो पूरा PoK भारत का हिस्सा होता.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में इस विषय को कौन लेकर गया, आकाशवाणी से गृह मंत्री को बगैर भरोसे में लिए हुए मसले को UN में ले जाया गया, यह काम भी नेहरूजी ने ही किया था. धारा 370 की वजह से अलगववाद की भावना को पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में भड़का रहा है. उन्होंने कहा कि 370 से इस देश के कानून की पहुंच वहां नहीं होती थी. साथ ही 371 महाराष्ट्र के विकास से जुड़ा है उसे हम क्यों निकालेंगे. इससे कहीं भी देश की अखंडता और एकता बाधित नहीं होती, इसकी 370 से कोई तुलना नहीं की जा सकती. राज्यों के कुछ समस्याओं को 371 में रखा गया है और इनकी तुलना संभव नहीं है और हम इसे कतई हटाने नहीं जा रहे हैं.

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