शरद पूर्णिमा पर इन कामों से आपको भी हो सकता है नुकसान

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शरद पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में बहुत ही खास माना गया है। वैसे तो हर माह की पूर्णिमा का दिन विशेष होता है लेकिन शरद पूर्णिमा बेहद खास होती है। कहते हैं कि इस रात भगवान कृष्ण ने सोलह हजार एक सौ गोपियों के साथ महारास रचा था। शास्त्रों में ऐसे बहुत से काम हैं जो इस दिन करने चाहिए और इसके साथ ही ऐसे भी काम होते हैं, जिन्हें करने की मनाही बताई जाती है। तो चलिए आगे जानते हैं उन कार्यों के बारे जिन्हें न करने में ही इंसान की भलाई होती है।

कहते हैं कि इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे कि मांस, मटन, चिकन या मसालेदार भोजन, लहसुन, प्याज आदि। और अगर संभव हो तो व्यक्ति को इस दिन व्रत जरूर रखना चाहिए।

किसी भी हालत में इस दिन शराब न पिएं क्योंकि इस दिन शराब का दिमाग पर बहुत गहरा असर होता है। इससे शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। जिसके लिए बाद में इंसान को पछताना पड़ सकता है।

वैसे तो व्यक्ति के कतिसी भी दिन गुस्सा नहीं करना चाहिए। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है। इसलिए जितना हो सके इंसान को शांत रहना चाहिए।

कहते हैं कि जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। अत: भावनाओं में बहें नहीं खुद पर नियंत्रण रखकर व्रत करें।

चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। अत: इस दिन जल की मात्रा और उसकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।

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