शहडोल – ईपत्रकार.कॉम |कलेक्टर श्री नरेश पाल ने कहा है कि शिक्षकों द्वारा बच्चों को दिये गये संस्कार समाज में उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते है। उन्होने कहा कि शिक्षकों की शिक्षा के प्रति समर्पण और निष्ठा की भावना समाज को बहुत आगे ले जा सकती है, बशर्ते शिक्षक समर्पित और निष्ठावान होकर बच्चों को संस्कारवान बनायें, बच्चों में उन्नति और प्रगति के विचारों का पोषण करें और बच्चों की ऊर्जा को नयी दिशा दें। उन्होने कहा है कि बच्चों में प्रतिभा की और मेधा की कमी नहीं होती है, सभी बच्चों में प्रतिभा और मेधा समान रूप से होती है आवश्यकता इस बात की है कि हम शाला में बच्चों की मेधा को तरास कर उसकी प्रतिभा को नया स्वरूप दें, बच्चों की उन्नति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करें।
कलेक्टर ने कहा कि डिण्डौरी और झाबुआ के आदिवासी छात्रों ने शिक्षकों के मार्गदर्शन में पहले ही प्रयास मे आईआईटी की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर यह साबित कर दिया गया है कि आदिवासी छात्र प्रतिभा और मेधा में किसी से कम नहीं हैं, बशर्तें हम उनकी मेधा और प्रतिभा को नई दिशा दें। उन्होेने कहा कि शाला में नवाचार कर शाला का वातावरण बदलना शिक्षकों पर निर्भर करता है। उन्होने कहा कि शिक्षक स्कूल का माहौल बदलकर स्कूल में शिक्षा का वातावरण तैयार कर बच्चों में शिक्षा के संस्कार भरकर उन्हें प्रतिभावान बनाने में अह्म भूमिका निभायें। कलेक्टर श्री नरेश पाल आज धुरवार में शिक्षकों द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। समारोह में समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र डॉ. मदन त्रिपाठी, जिला शिक्षा अधिकारी श्री उमेश कुमार धुर्वे एवं शिक्षकगण उपस्थित थे। कलेक्टर ने कहा कि आज समय तेजी से बदल रहा है, बदलते परिवेश में शिक्षकों के दायित्व भी बढ़े हैं। उन्होने कहा कि शिक्षकों को अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन भी निष्ठा एवं ईमानदारी से करना होगा तभी शिक्षक समाज के नव निर्माण में अह्म भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होने कहा कि शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं गरीब परिवारों से होते हैं, उन्होने कहा कि शिक्षकों का यह दायित्व हैं कि वे ऐसे छात्र-छात्राओं को अच्छे संस्कार दें, अच्छी शिक्षा दें और उन्हें शैक्षणिकतौर पर सशक्त बनायें। समारोह को जिला समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र डॉ.मदन त्रिपाठी ने भी संबोधित किया।