स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं-पीएम मोदी

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कोरोना वॉरियर्स और हेल्थ वर्कस की सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार गंभीर है। स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों की पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी जिसमें उनके खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी से लड़ने वाले स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता है।

पीएम मोदी ने बुधवार को ट्वीट किया कि महामारी संशोधन अध्यादेश 2020 अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर कोविड-19 से लड़ रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ता को बचाने को लेकर हारी प्रतिबद्धता की झलक दिखाती है। ये हमारे सभी पेशेवर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं हो सकता।

वहीं इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह अध्यादेश डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार उन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है जो इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत की रक्षा कर रहे हैं। हमारे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकतार्ओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए अध्यादेश लाना उसी बात का प्रमाण है। यह उनकी सुरक्षा और गरिमा को सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।

बता दें कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में लगे स्वास्थ्यकर्मियों पर देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहीं हमले की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन और अध्यादेश को मंजूरी दी है। अध्यादेश में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले को गैर-जमानती बताया गया है। अगर डॉक्टर और स्वास्थकर्मी को गंभीर चोट आई तो आरोपी को छह महीने से सात साल तक की सजा, और 1 लाख से लेकर 5 लाख तक का जुमार्ना लगाया जा सकता है।

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