हार पर कांग्रेस का मंथन जारी,प्रियंका गांधी के साथ बैठक में पहुंचे राहुल गांधी

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लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मिली करारी शिकस्त पर कांग्रेस में समीक्षा और मंथन का दौर शुरू हो गया है। हार के कारणों पर चर्चा करने के लिए​ आज दिल्ली कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भाग लेने के​ लिए​ सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पहुंच गए हैं। सूत्रों की मानें तो बैठक में हार के लिए जिम्मेदारी तय करने के साथ ही संगठनात्मक बदलाव से जुड़े कुछ बड़े फैसले भी हो सकते हैं।

सीडब्ल्यूसी कांग्रेस की सर्वोच्च् नीति निर्धारण इकाई है, जिसमें पार्टी नीतिगत और बड़े फैसले लेती है। इस बैठक का संकेत राहुल गांधी ने शुक्रवार को चुनाव नतीजे आने के बाद ही प्रेस कांफ्रेंस में दे दिया था। हार के कारणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि यह उनके और सीडब्ल्यूसी के बीच का मामला है। हालांकि बाद में उनके इस कथन को यह माना गया कि वे अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं। लेकिन पार्टी ने आधिकारिक तौर पर इससे इंकार कर दिया। अब जब कई राज्य इकाइयों के नेताओं के इस्तीफे आने शुरू हुए हैं तो एक बार फिर चर्चा गरम है कि राहुल सीडब्ल्यूसी की बैठक में अपने इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं।

राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी ली थी। उसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस जीत कर सत्ता में पहुंची। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो पंद्रह साल बाद कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा था। लेकिन कुछ ही महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव के शुक्रवार को आए नतीजों ने सभी को चौंका दिया। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की बुरी हार हुई। यहां तक कि मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट से कई बार सांसद रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपना चुनाव हार गए। गुना सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट रही है। सबसे आश्चर्यजनक परिणाम उत्तर प्रदेश में अमेठी लोकसभा सीट का रहा, जहां राहुल गांधी खुद अपना चुनाव हार गए। अमेठी में गांधी परिवार को पहली बार शिकस्त मिली है। इसके साथ उत्तर-पूर्व के ज्यादातर हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा।

हिंदी भाषी राज्यों में जहां एक दौर था कांग्रेस ही कांग्रेस होती थी, अब उसका नामलेवा भी नहीं दिख रहा है। बिहार में राजद के साथ गठबंधन करके चुनाव लडऩे के बाद भी कांग्रेस खाता नहीं खोल पाई। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 1-1 सीट बचा पाई। छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड में भी पार्टी को अपेक्षानुरूप सीटें नहीं मिलीं तो दिल्ली, हरियाणा में पार्टी एक बार फिर खाता खोलने में नाकाम रही। 2014 में हुई हार के लिए मुस्लिम परस्त छवि को कारण बताया गया था। जिसके चलते गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त से ही कांग्रेस साफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे पर चल पड़ी थी। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर पार्टी के तमाम नेता मंदिर-गुरुद्वारों के चक्कर लगा रहे थे। इतना ही नहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों को टिकट भी कम दिए और प्रचार में भी उन्हें साथ लेने से बचे। इसके बाद भी पार्टी को इस बार भी करारी हार का सामना करना पड़ा। मुद्दे कमजोर पड़े, नेता भरोसा खो बैठे या फिर प्रत्याशी कमजोर रहे अथवा कार्यकर्ता-नेता सक्रिय नहीं हो सके? सीडब्ल्यूसी इन सभी कारणों पर मंथन करेगी, जिसके चलते कांग्रेस जनता से सीधे नहीं जुड़ सकी।

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